शरणागत जाए बिना नहीं हो सकता जीव का उद्धार : युवराज
जागरण संवाददाता, झज्जार : जब तक जीव भगवान की शरणागत में नहीं जाता तब तक उसका उद्धार नहीं हो सकता। मन
जागरण संवाददाता, झज्जार : जब तक जीव भगवान की शरणागत में नहीं जाता तब तक उसका उद्धार नहीं हो सकता। मनुष्य को समझ लेना चाहिए कि उसके जीवन का लक्ष्य अंत में भगवान की शरणागत जाना ही है। यह बात झज्जार में रविवार से जारी श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथाव्यास पंडित युवराज शर्मा ने श्रद्धालुओं के बीच कही।
श्रद्धालुओं को ज्ञान गंगा में गोता लगवाते हुए कथाव्यास ने रुकमणि का उदाहरण देते हुए बताया कि भीष्म राजा की पुत्री रुकमणि का विवाह शिशुपाल से तय हुआ था। लेकिन वह भगवान कृष्ण से विवाह करना चाहती थी। हालाकि उसने कृष्ण को देखा तक नहीं था फिर भी उसने अपनी भावनाओं से भरा एक पत्र भगवान कृष्ण तक पहुचाया। रुकमणि की भक्ति देख भगवान स्वयं को रोक नहीं सके और उससे विवाह किया।
कथाव्यास ने कहा कि जो व्यक्ति भगवान को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है भगवान कभी उसकी उपेक्षा नहीं करते। श्रीमद् भागवत के विभिन्न अध्यायों की कथा सुनाते हुए श्रीमद् भागवत कथा ने छठे दिन में प्रवेश किया। छठे दिन हुई कथा में अनेकों उदाहरणों से कथाव्यास युवराज ने भगवान की भक्ति में लीन रहने के तरीके बताए। शुक्रवार को हुई कथा के दौरान भी कथा संयोजक एडवोकेट माणिकचंद गुप्ता, लाला प्रकाश गर्ग, नारायण दास, राजेंद्र गुप्ता, लाला महेश गुप्ता, नीरज एवं नवीन गुप्ता, शिवओम भारद्वाज, विजय उर्फ भोंदू गुर्जर, रामलुभाया चुघ, महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट के प्रधान लाला महेद्र बंसल, महासिचव एडवोकेट मोहित गुप्ता, पंडित अनिल, दीपक बतरा, मैनेजर रोशनलाल, वेदप्रकाश बहल,बृजलाल, आनंद सिंघल सहित बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालू उपस्थित रही।
रविवार को होगा विधिवत समापन : मंदिर बूढ़ा महादेव की ज्ञान यज्ञ आयोजन समिति में रविवार से आरभ हुए यह आयोजन रविवार एक मार्च तक निरतर चलेगा। कार्यक्रम के अंतिम दिन मंदिर में हवन यज्ञ होगा और कथा के बाद विशाल लंगर व कलश वितरण होगा। समापन अवसर पर पंडित शिवओम भारद्वाज के संयोजन में फूलों की होली भी खेली जायेगी।