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.. और बेजार जिंदगियों में भर गया शिक्षा का नूर

जागरण संवाददाता, झज्जर : 27 साल पहले सरकारी अध्यापक के तौर पर अपने करियर की शुरूआत करने वाले राजबीर

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 06:19 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 06:19 PM (IST)
.. और बेजार जिंदगियों में भर गया शिक्षा का नूर

जागरण संवाददाता, झज्जर : 27 साल पहले सरकारी अध्यापक के तौर पर अपने करियर की शुरूआत करने वाले राजबीर सिंह दहिया की वजह से सैंकड़ों अशिक्षितों को शिक्षा की रोशनी मिली। उन्होंने मजबूरों को ज्ञान देकर उन्हें सपने देखना सिखाया और उन्हें नई उड़ान दी। एक दफा अपने मातहत काम करने वाले अनपढ़ सफाई कर्मी की ललक देखकर उसे पढ़ने को प्रेरित किया और उसे अपने समकक्ष खड़ा होने के लिए हौसला व योग्यता दी। दूसरी तरफ अनाथालय जैसी जगहों पर जाकर उन बच्चों में जीने और फिर पढ़ने की ललक पैदा की जो जिंदगी से बेजार हो चुके थे। जिससे कई जीवन संवरे। जब जरूरत पड़ी तो दूसरों को साक्षर बनाने के लिए अपनी जेब से पैसा खर्च किया और किताबें खरीद कर दी। उनके जज्बे को हरियाणा सरकार ने पहचाना और अपने बेहतरीन शिक्षकों की श्रेणी में शामिल करके अवार्ड से सम्मानित किया।

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राजबीर सिंह दहिया 15 जनवरी 1987 को जींद जिले के सुरजाखेड़ा गांव के स्कूल में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए थे। जुलाई 1987 में उनका तबादला इसी जिले के कालवन गांव के स्कूल में हुआ। वहां एक सफाई कर्मी रामकिशन उनके संपर्क में आया तो उनकी ललक को देखकर उसे पढ़ाना शुरू किया। उसे शिक्षित किया जिससे वह उनके समकक्ष अध्यापक के पद पर नियुक्त हुआ। उसके बाद से वे समाज सेवा और शिक्षा के प्रचार प्रसार में कदम आगे बढ़ाते रहे। अब तक उन्होंने करीब 80 गरीब विद्यार्थियों की वर्दी, किताबों के साथ उनकी फीस का खर्च वहन किया जिससे उनकी राह में कोई चीज गतिरोध न पैदा करे। वह हर वर्ष करीब दस से पंद्रह घुमंतू जाति व ईट भट्ठा मजदूरों के बच्चों को विभिन्न विद्यालयों में दाखिला भी दिलवाते हैं।

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शिक्षा के साथ की समाज सेवा

शिक्षा के साथ साथ 38 बार रक्तदान कर अन्य लोगों को जागरूक किया। अपनी आंखें दान देकर अब बच्चों के शोध के लिए शरीर दान करने की तैयारी में हैं। कन्या भ्रूण हत्या, एडस जागरूकता, प्रदूषण नियंत्रण, बिजली बचाओ अभियान, स्वच्छता अभियान, जनसंख्या नियोजन, पल्स पोलियो, पर्यावरण संरक्षण, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी बुराईयों को समाज से दूर करने के लिए जागरूकता रैलियों का आयोजन अपने साथियों के साथ कई दफा उन्होंने किया है।

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ये मिले सम्मान

पहले उनकी प्रतिभा को जिला प्रशासन ने पहचाना और उनको वर्ष 1991 में समाज सेवा व शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पहली बार सम्मानित किया गया। उसके बाद 2006, 2007, 2010, 2012 में जिला स्तर पर सम्मानित किया गया। वहीं वर्ष 2006 में हरियाणा दिवस के अवसर पर तत्कालीन राज्यपाल एआर किदवई व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य शिक्षक पुरस्कार से नवाजा था।

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11 साल शत-प्रतिशत परिणाम

इतिहास के अध्यापक व प्राध्यापक पद पर रहते हुए 11 साल तक निरंतर शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम के लिए भी उन्हें सम्मानित किया गया। 1995-96 से 2012-13 तक 11 बार 100 प्रतिशत व बाकि 90 प्रतिशत परीक्षा परिणाम से उपर रहा।

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बदल डाली जीवन की दिशा

झज्जर : बहादुरगढ़ के अनाथालय में रहने वाले बच्चे पुलिस के लिए चुनौती बने हुए थे, क्योंकि कई अपराधिक वारदातों में इन बच्चों का हाथ देखने को मिला था। घर परिवार न होने व माता पिता का साथ छूटने की वजह से इन बच्चों के जीवन की दिशा भ्रमित हो गई थी। राजबीर दहिया को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने अनाथालय को अपना लक्ष्य बनाया। वहां जाकर इन बच्चों के मन की दशा को समझा उनके भीतर अच्छा बनने का जज्बा पैदा किया। उनके प्रयास के बाद अनाथालय में रहने वाले बच्चों के जीवन की दिशा बदली। पुलिस भी मानती है कि अब वारदातों में अनाथालय से निकले बच्चों का हाथ नहीं मिलता।


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