आवारा व बेसहारा पशु बन रहे किसानों के लिए परेशानी
संवाद सूत्र, बादली : बादली क्षेत्र में इन दिनों किसानों ने लिए आवारा घूमने वाले पशु परेशानी का कारण
संवाद सूत्र, बादली : बादली क्षेत्र में इन दिनों किसानों ने लिए आवारा घूमने वाले पशु परेशानी का कारण बने हुए हैं। आवारा पशु किसानों की खेती बाड़ी का खराब कर रहे हैं। दिन के समय तो किसान किसी तरह से रखवाली कर लेता है मगर रात के समय पशुओं से रखवाली करना मुश्किल साबित हो रहा हैं। किसानों ने प्रशासन से आवारा घूमने वाले पशुओं को पकड़ने की गुहार लगाई ताकि उनकी खेती बाड़ी को नुकसान होने से बचाया जा सके। बादली के किसान यशपाल गुलिया, चीकू, रामकिशन, कुलदीप, मामराज का कहना है कि आवारा पशुओं में नीलगाय के साथ साथ सुअर, गधे और बेसहारा गाय भी खेतों में नुकसान पहुंचा रही हैं। सुअर तो पूरी तरह से गेहूं की खेती पर टूट पड़ते हैं जबकि नीलगाय सरसों की खेती के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं। बेसहारा गायों की संख्या भी दिनों दिन बढ़ रही है। सबसे ज्यादा परेशानी गुड़गाव माईनर के साथ लगती डहर वाली जमीन पर है जहा पशुओं को निकलने का रास्ता नहीं मिलता है। एक बार जो आवारा व बेसहारा पुश डहर की जमीन में चला जाता है उसे निकलने का रास्ता ही नहीं मिलता क्योंकि एक तरफ गुड़गाव माईनर बाधा बन जाती है तो दूसरी तरफ सड़के है जहा पशु एकदम कैद होकर रह जाते हैं। इसके साथ ही ये पशु सड़क के बीचों बीच भी जमावाड़ा लगाकर बैठ जाते है जिनके कारण कई बार हादसे होते है तो कई बार यातायात भी प्रभावित होता है। किसानों ने जिला प्रशासन से आवारा व बेसहारा पशुओं को पकड़ने की गुहार लगाई है।
306 किस्म की खेती छोड़ी:-
किसानों का कहना है कि नीलगायों की बढ़ती संख्या के चलते उन्होंने गेहू की 306 किस्म की खेती करना ही छोड़ दिया है। किसानों का कहना है कि इस किस्म का पौधा मीठा होता है जिसके कारण नीलगायों का झुंड इस पर टूट पड़ता है और पूरी तरह से तबाह करने के बाद ही खेत से निकलता है। इन दिनों में खेतों में वैसे ही आवारा और बेसहारा पशुओं के झुंड नजर आते हैं।
गऊशाला से मागी मदद:-
ग्रामीणों ने क्षेत्र की गऊशाला के मालिकों से माग की है कि वह बेसहारा घूमने वाली गायों को संरक्षण दे ताकि गायों को सही उपचार के साथ साथ सर्दी से बचाव भी मिल सके। किसानों का कहना है कि क्षेत्र में कई बड़ी गऊशालाएं हैं जो बेसहारा गायों को रखकर उन्हे सर्दी लगने और पालीथिन व अन्य गंदगी खाने से बचा सकती हैं। ऐसे कार्य के लिए गऊशाला मालिकों को आगे आकर मदद करनी चाहिए।