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शहर में दो मतादाता सूची, नई सूची में मतदाताओं की संख्या कम

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : नगर परिषद और विधानसभा की अलग-अलग मतदाता सूचियों में शहरी मतदाताओं की सं

By Edited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Oct 2014 01:00 AM (IST)
शहर में दो मतादाता सूची, नई सूची में मतदाताओं की संख्या कम

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : नगर परिषद और विधानसभा की अलग-अलग मतदाता सूचियों में शहरी मतदाताओं की संख्या के अंतर ने सभी को हैरत में डाला हुआ है। खास बात यह है कि पाच साल पहले नगर परिषद की मतदाता सूची में शहरी मतदाताओं की जितनी संख्या थी, उस आकड़े को मौजूदा विधानसभा चुनाव के दौरान की संख्या भी नहीं छू पाई

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विधानसभा की मतदाता सूची में शहरी मतदाताओं की संख्या एक लाख के आसपास है। जबकि नगर परिषद की सूची में यह आंकड़ा वर्ष 2009 के चुनाव के दौरान ही एक लाख नौ हजार से ज्यादा था। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में नगर परिषद के जब चुनाव होंगे और उससे पहले इस सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा तो यह आकड़ा सवा लाख को भी पार कर सकता है। ऐसे में सवाल तो यह है कि आखिर वे हजारों मतदाता कौन है जो सिर्फ और सिर्फ नगर परिषद की राजनीति से ताल्लुक रखते है। यह भी एक अजीब ही मामला है एक ही शहर में दो मतदाता सूची है और उनमें मतदाताओं की संख्या एक के मुकाबले दूसरी में कई हजार ज्यादा है। दो अलग-अलग सूचियों में मतदाताओं की संख्या का यह अंतर अधिकारियों को भी हैरत में डाले हुए है। लेकिन अधिकारी यह कहकर इस आंकड़े को गले से उतार रहे है कि हो सकता है ज्यादातर मतदाता सिर्फ नगर परिषद का प्रतिनिधि चुनने में ही दिलचस्पी ले रहे हैं। जहां तक अलग-अलग मतदाता सूची का सवाल है तो इस पर अधिकारी चुनाव नियम अलग-अलग होने का तर्क दे रहे है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या नगर परिषद के सीमा क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता विधानसभा चुनाव में वोट डालने के हकदार नहीं हैं और यदि है तो इतने अंतर की आखिर क्या वजह है। मतदाताओं की संख्या नगर परिषद की सूची में ज्यादा होने के कारण चुनाव भी रोचक बनता है। शहर में नप चुनाव के दौरान बूथों की संख्या इस बार बढ़ सकती है।

दोहरी वोट हो सकती है वजह : चेयरमैन

नगर परिषद के चेयरमैन रवि खत्री का कहना है कि अभी नई वार्ड बंदी को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इसके बाद ही चुनाव होंगे। जहा तक मतदाताओं की संख्या में अंतर का सवाल है तो हो सकता है नगर परिषद की सूची में दोहरी वोट हों। यह संबंधित अधिकारियों के स्तर का मामला है।

सूची एक होना संभव नहीं : एसडीएम

विधानसभा और नगर परिषद की सूची एक हो यह संभव नही है। जहा तक मतदाता की संख्या में अंतर का सवाल है तो दोनों के रिकॉर्ड को देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

यह हैं आकड़े

वर्ष 2009 के नगर परिषद के चुनाव के दौरान शहर के मतदाताओं की संख्या एक लाख नौ हजार 990 थी। मगर हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान शहर की कुल मतदाता संख्या एक लाख 297 है। इसी में नौ हजार से ज्यादा का अंतर है।


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