दीपावली पर लक्ष्मी पूजा से मिलेगी विष्णु कृपा
अमित पोपली, झज्जार जनता का जनादेश ईवीएम में कैद हो जाने के बाद अब सभी का ध्यान त्यौहारों पर आन टि
अमित पोपली, झज्जार
जनता का जनादेश ईवीएम में कैद हो जाने के बाद अब सभी का ध्यान त्यौहारों पर आन टिका है। अक्टूबर माह में त्यौहारों की झड़ी लगी हुई है। पर्वों की रौनक के बीच बाजार में कारोबार भी चमकेगा, क्योंकि खरीदी के लिए भी सर्वार्थ सिद्धि, पुष्य नक्षत्र, रवि योग, धनतेरस और देव प्रबोधिनी एकादशी जैसे कई बड़े मुहूर्त आ रहे है। पंडितों के अनुसार 6 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा तक खरीदी के संयोग बन रहे हैं। 14 अक्टूबर को सूर्य षष्ठी के साथ त्यौहारों की शुरूआत हो चुकी है और एक के बाद एक लगातार पर्व क्रमवार आने है। सोना-चादी के कारोबारियों सहित अन्य वर्ग के व्यापारियों के अनुसार यूं तो शारदीय नवरात्रि से ही बाजारों में खरीदारी का दौर शुरू हो गया था, लेकिन अब आगे खरीदी के कई बड़े मुहूर्तों में कारोबार चमकने की उन्हे उम्मीद है। जो कार्तिक पूर्णिमा तक जारी रहेगा तथा अच्छा कारोबार होने की उम्मीद सभी को है। आने वाले दिन कैसे साबित होते है। यह तो समय बताएगा। लेकिन तैयारिया रफ्तार पकड़ने लगी है।
चुनाव के चलते फेस्टिवल सीजन में ग्राहकों का टोटा छोटे दुकानदारों के लिए अधिक समस्या बना हुआ था। उनके समक्ष खर्च निकालने तक की समस्या खड़ी हो गई थी। बाजारों में लौट रही रौनक से दुकानदारों के चेहरों पर भी रौनक लौटने की उम्मीद है। तीन नवंबर को देवउठनी एकादशी है। जिसके साथ शादियों का सीजन भी शुरू हो जाएगा। हालाकि शादियों के शुभ मुहुर्त भी गिने चुने हैं। सर्राफा बाजार के दुकानदारों की माने तो दिसंबर तक चार से पाच ही शुभ मुहुर्त हैं।
सजने लगे है बाजार में स्टॉल
दीपावाली का मौका सभी वर्गाें के लिए एक खास मायने रखता है। अक्सर कहा भी जाता है कि मौका भी है और दस्तूर भी। अब तक चुनावी रंग में रंगे लोगों का अभी तक दीपावली पर्व को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है लेकिन दुकानदारों ने अपनी कारोबारी तैयारी शुरू कर दी है। नगर में छोटे व बडे़ दुकानदारों की ओर से मेन बाजारों में स्टाल लगाने का काम शुरू हो गया है। प्रवासी छोटे दुकानदारों ने बस स्टैड क्षेत्र, सिलानी गेट, डायमंड चौक, पोस्ट आफिस आदि के आस पास अपनी अस्थाई दुकानें सजानी शुरू कर दी हैं।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा से मिलेगी विष्णु कृपा
बने इस माहौल में दुकानदारों को उम्मीद है कि चुनाव के दौरान जो मंदी झेली, दीपावली और उसके बाद शादी का सीजन शायद उसकी भरपाई कर देगा। मतदान के बाद अब सर्राफा दुकानदार नए डिजाइन के गिफ्ट, लक्ष्मी-गणेश की नई डिजाइन की मूर्तियों से ग्राहकों को आकर्षित करने में जुटे है। सर्राफा बाजार में मंदी के बावजूद कुछ दुकानदार आकर्षक चादी की पूजा थालिया, सिंहासन, लक्ष्मी गणेश की आकर्षक मूर्तियों आदि से लोगों को आकर्षित कर रहे है।
शिव ज्वैलर्स के संचालक दीपक वर्मा का कहना है कि एक समय था जब फेस्टिवल सीजन शुरू होने पर सभी व्यापारियों की ओर से मिल कर मार्केट को सजाया जाता था। देर रात तक दुकान पर बैठते थे। मगर अब लोगों की रुचि बिल्कुल खत्म हो रही है।
खरीदी का बन रहा विशेष संयोग
वैसे तो अक्टूबर माह में कई विशेष संयोग बन रहे है। लेकिन इन सभी के बीच प्रमुख त्यौहार धनतेरस 21 को और दीपावली 23 अक्टूबर को है। जिस पर विशेष संयोग बन रहा है। दीपावली गुरुवार को पड़ने के कारण माता लक्ष्मी की आराधना करने वालों पर भगवान विष्णु की स्वत: ही कृपा होगी। पंडित विरेद्र शर्मा का कहना है कि इन दिन की जाने वाले पूजा से मा लक्ष्मी की विशेष अनुकंपा मिलेगी। जिससे धनागम का भी स्थिर योग है। उनके अनुसार माता लक्ष्मी की कहीं पूजा होती है तो उससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। यह धनागम का अच्छा संकेत है। माता लक्ष्मी कुबेर की पूजा स्थिर लग्न में करना ज्यादा शुभकारी होता है। कहा जाता है कि स्थिर लग्न में पूजा करने से धन स्थिर रहता है।
धनतेरस पर भी बरसेगा धन
धनवंतरी पूजन के पर्व धनतेरस पर इस बार बाजार में धन बरसेगा। सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग के साथ इस दिन हस्त नक्षत्र भी होगा। इस दिन बन रहे सुखद संयोग में किए गए कार्य निर्विघ्न संपन्न होकर सिद्धि देंगे। खरीदी गई वस्तुएं सुखद फल देंगी। पंडित प्रथम शर्मा के मुताबिक दीपावली से पहले 27 घटें खरीदारी का महा मुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र योग बन रहा है। इस दिन भूमि, भवन, वाहन भी खरीदे जा सकते हैं। वैसे इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार हर कोई कुछ न कुछ जरूर खरीदता है। पर राशि के अनुसार खरीदारी करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।
19 अक्टूबर रमा एकादशी
20 गोवत्स द्वादशी
21 धनतेरस
22 रूप चौदस
23 दीपावली
24 सुहाग पड़वा
25 भाईदूज
27 विनायक चतुर्थी
28 सौभाग्य पंचमी
29 सूर्य षष्ठी छठ
30 सहस्त्रबाहु जयंती
31 गोपाष्टमी
1 नवंबर देव प्रबोधिनी एकादशी
5 बैकुंठ चतुर्दशी
6 कार्तिक पूर्णिमा ।