हड़ताल से लगा रोडवेज को आठ लाख का चूना
जागरण संवाददाता, झज्जर : शनिवार की दोपहर से पूर्व हरियाणा राज्य परिवहन विभाग की बसों के पहिए थम गए। जिससे परिवहन विभाग को करीब आठ लाख रुपये का घाटा हुआ है। समाचार लिखे जाने तक रोड़वेज की हड़ताल खलेगी या निरंतर जारी रहेगी इसके बारे में महासंघ की तरफ से कोई भी निर्देश जिला इकाईयों को नहीं मिले थे। अकेले झज्जर जिले में परिवहन विभाग के करीब साढे़ सात सौ कर्मचारी हड़ताल पर हैं। जिसके कारण रोडवेज की बसें न चलने से जहां यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं हरियाणा राज्य परिवहन विभाग को लाखों रुपये के घाटे का सामना करना पड़ रहा है।
झज्जर जिले में परिवहन विभाग के पास 164 बसें हैं। इन में से सुबह के समय लंबे रूटों पर चलने वाली सभी बसें पने निर्धारित रूटों पर चली गई थी। वहीं लोकल रूटों पर चलने वाली बसे भी अपने रूटों पर चली गई थी। शनिवार की सुबह करीब दस बजे तक बस सेवाएं सामान्य रूप से चल रही थी। करीब दस बजे कैथल में निजी बस चालकों व रोडवेज के कर्मचारियों के बीच हुए विवाद की सूचना जब यूनियनों के पदाधिकारियों को मिली तो चक्का जाम कर दिया। शनिवार की शाम तक रोडवेज की बसें नहीं चल पाई थी।
हरियाणा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महासचिव वीरेंद्र सिंह के अनुसार झज्जर जिले में हड़ताल की वजह से रोडवेज को करीब आठ लाख रुपये का घाटा हुआ है। उनका कहना है कि प्रदेश इकाई के आगामी आदेश तक हड़ताल जारी रहेगी।
हरियाणा राज्य परिवहन विभाग झज्जर के महाप्रबंधक एनके गर्ग का कहना है कि रोडवेज के करीब साढे सात सौ कर्मचारी हड़ताल पर हैं। उनका कहना है कि फिलहाल रोडवेज को कितना घाटा हुआ है उसका सही पता अकाउंट से उस समय लगेगा जब बसों की टिकटों का बॉक्स बनेगा। उनका कहना है कि फिलहाल हड़ताल जारी है।
निजी वाहनों में रही यात्रियों की भीड़ : हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण रोडवेज की बसें न चलने के कारण यात्रियों ने प्राइवेट वाहनों व परिवहन समिति की बसों का ही सहारा लेने पर मजबूर होना पड़ा। इस बसों में यात्रियों की भीड़ के कारण पर रखने तक की जगह दिखाई नहीं दे रही थी। यात्री बसों की छतों पर बैठकर व बसों पायदानों पर लटक कर यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ा।
परिवहन समिति की बसें चली रूटों : सरकार की तरफ से परिवहन समितियों को 3519 परमिट जारी करने व कैथल में कर्मचारियों के साथ मारपीट करने के विरोध में हरियाणा राज्य परिवहन विभाग की यूनियनों ने शनिवार को चक्का जाम कर दिया। सुबह के समय जो बसें रूटों पर गई थी उन बसों को जहां तक पहुंची थी वहीं पर रूकवा दिया गया, जो बसें लोकल रूटों पर थी उनको वापस डिपो में बुलाया लिया गया और उसके बाद किसी भी बस को वापस रूटों पर नहीं ले जाया गया। परिवहन समिति बसें ही रूटों पर चलती दिखाई दी। परिवहन विभाग की बसें न चलने से यात्रियों को भी अपने गंतव्यों तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना पड़ा।
शनिवार को कैथल में प्राइवेट बसों को परमिट के आधार पर बूथों पर लगाना शुरू किया तो उस दौरान कर्मचारियों के साथ मारपीट की गई। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में यूनियनों के स्टेट कार्यालयों से प्रदेश के सभी डिपूओं की कार्यकारिणी को फोन पर चक्का जाम करने के निर्देश जारी किए गए। शनिवार की सुबह करीब दस बजे झज्जर कार्यकारिणी को भी मामले की जानकारी मिली तो रोडवेज के कर्मचारियों ने बस स्टैंड के दोनों गेटों पर बसें खड़ी कर चक्का जाम कर दिया गया। जिसकी वजह से बस स्टैंड के सामने वाली सड़क पर जाम लग गया। जैसे ही चक्का जाम करने की सूचना जिला प्रशासन के अधिकारियों को मिली तो डीएसपी अनूप सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने सड़क पर खड़ी सभी बसों को बस स्टैंड में खड़ा करवा कर यातायात सुचारू करवाया। उसके बाद कर्मचारियों ने बस स्टैंड में एकत्रित होकर सरकार विरोधी नारे भी लगाए। इससे पहले भी रोडवेज के कर्मचारी इन प्राइवेट रूटों के विरोध में व अपनी मांगों को लेकर अनेक बार चक्का जाम व प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
ये हैं मुख्य मांगें : सरकार नई परिवहन नीति को रद्द करे। परिवहन विभाग के बेड़े का मजबूत करने के लिए दस हजार नई गाड़ियां शामिल करे।
सरकार की हठधर्मिता का देंगे मुहंतोड़ जवाब : धनखड़
हरियाणा कर्मचारी महा संघ के प्रदेश महासचिव वीरेंद्र धनखड़ ने कहा कि चुनाव की दहलीज पर खड़ी प्रदेश सरकार जनता के परिवहन विभाग को अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए प्राइवेट रूट परमिट के माध्यम से बेचना चाहती है। उनका कहना है कि 11 अगस्त को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्राइवेट रूट परमिटों पर स्टे कर दिया था, लेकिन सरकार चुनाव की हड़बड़ी में आचार संहिता लगने से पहले ही परिवहन विभाग को निगम बनाना चाहती है। उच्च न्यायालय भी इस परिवहन नीति को जनहित के विरुद्ध बता चुका है। उन्होंने हड़ताल को जनहित में बताते हुए जनता की असुविधा के लिए क्षमा याचना भी की। उनका कहना है कि सरकार की हठधर्मिता का मुंह-तोड़ जवाब दिया जाएगा। उनका कहना है कि महासंघ के आगामी आदेश तक हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल में परिवहन विभाग की सभी यूनियनों के पदाधिकारी शामिल रहे। इनमें जयवीर सिंह कादियान, रणबीर गहलौत, सतपाल यादव, अशोक शर्मा, कर्मबीर चाहर, अजीत जांगड़ा, मुकेश शर्मा, महेश यादव सहित अनेक पदाधिकारी शामिल थे।
अवैध वाहन चालकों की बल्ले-बल्ले : हड़ताल के दौरान अवैध वाहन चालकों ने भी अपने रूटों पर गाड़ियों के चक्कर बढ़ा दिए थे। जिले की कोई ऐसी सड़क नहीं है जहां पर अवैध वाहनों की भरमार न हो। शनिवार को रोडवेज की बसें बंद होने के बाद बिना अपने नंबर के ही सड़कों पर दौड़ते रहे। पहले जहां नंबर के हिसाब से अवैध वाहन सवारी भरते नजर आते थे। वे आज यात्रियों को अपने वाहनों के पायदानों पर लटका कर यात्रियों की जान की परवाह न करते हुए सड़कों पर दौड़ रहे थे। अवैध वाहन चालकों की पूरी तरह से बल्ले-बल्ले हो गई थी।