दिन भर छाया रहता धूल का गुब्बार
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़
करोड़ों का सालाना सफाई खर्च भी शहर वासियों को स्वच्छ वातावरण नहीं दे रहा है। इसका सीधा सा कारण है कि नगर परिषद ने भी शायद शहर वासियों को राहत देने से मुंह मोड़ लिया है। तभी तो राजमार्ग पर सफाई नहीं हो रही है और इससे दिन भर धूल का गुब्बार छाया रहता है।
शहर में कभी कोई वीआइपी कार्यक्रम होता है तो सड़कों पर सफाई कर्मचारी नजर आ जाते है। अन्यथा कूड़े के साथ-साथ मिट्टी भी जमा रहती है। विशेषकर हाइवे पर डिवाइडर के साथ-साथ मिट्टी की एक मोटी परत बन जाती है। इन दिनों मेट्रो के लिए बेरिकेडिग की गई है। इसके साथ-साथ महीन रेत की मोटी परत जमी हुई है। वाहनों की आवाजाही के कारण यह मिट्टी धूल बनकर छाई रहती है। ऐसे में लोगों के लिए ही बाजारों में निकलना आफत बन जाता है। सांस के रोगियों के लिए तो ये परिस्थितियां खतरनाक साबित होती है। धूल के कारण सांसों में घुटन और आंखों में जलन की शिकायत बन जाती है। खास बात तो यह है कि शहर के लोगों को स्वच्छ वातावरण देने का जिम्मा जिस नगर परिषद पर है उसके नाक तले ही यह सब हो रहा है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल तैरता है कि सफाई व्यवस्था पर किया जाने वाला इतना भारी भरकम खर्च आखिरकार क्यों किया जा रहा है। प्रमुख स्थानों पर कूड़े के ढेर तो अक्सर देखने को मिलते है।
मेट्रो की ओर से भी नहीं की जा रही सफाई
शहर निवासी राधेश्याम, तेजपाल दलाल, भूपेंद्र पंवार का कहना है कि मेट्रो की ओर से ध्यान न दिए जाने के कारण भी कई समस्याएं है। मेट्रो परियोजना के चलते सड़कों पर जो आफत बन रही है उसकी तरफ मेट्रो को भी ध्यान देना चाहिए। उधर, नगर परिषद चेयरमैन रवि खत्री का तर्क है कि जिस हिस्से में मेट्रो को लेकर कार्य चल रहा है। वहा पर रखरखाव की जिम्मेदारी मेट्रो की ही बनती है।