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स्वच्छ पेयजल को तरसे शहरवासी

By Edited By: Published: Sat, 23 Aug 2014 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 23 Aug 2014 01:01 AM (IST)
स्वच्छ पेयजल को तरसे शहरवासी

जागरण संवाददाता, झज्जर :

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नहर में आ रहा मटमैला पानी लोगों को जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गया है। लोगों को पिछले काफी समय से स्वच्छ पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। शहर के लोगों को पीने का स्वच्छ पानी न मिलने कारण पेय जल के लिए इधर उधर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। यह स्थिति झज्जर शहर की ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में ही बनी हुई है। नहरों से पानी इतना मटमैला आ रहा है कि उसे जलघरों के फिल्टर भी पूरी तरह से साफ नहीं कर पा रहे हैं। फिलहाल रामपुरा माइनर में 70 से 80 क्यूसिक पानी आ रहा है। जिससे इस माइनर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के जलघरों के टैंकों को भरा जा रहा है। इसके अलावा शुक्रवार की शाम को जवाहर लाल नेहरू कैनाल से पानी छोड़े जाने की संभावना जताई जा रही है। लोगों की प्यास बुझाने के लिए शहर में चार जलघर बनाए गए हैं। एक में पानी का स्टोर किया जाता है तो तीन जलघरों से पानी की सप्लाई की जाती है। झज्जर शहर के लोगों के सामने पेयजल संकट गहराया हुआ है। जलघर के टैंकों में पानी आने के बाद भी लोग स्वच्छ पेयजल को तरस रहे हैं। क्षेत्र में मटमैला पानी सप्लाई किया जा रहा है जो पीने लायक नहीं है।

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साढ़े 67 लाख लीटर पानी की आवश्यकता

जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के नियमानुसार शहर के लोगों को नियमानुसार करीब साढे 67 लाख लीटर पानी प्रतिदिन मिलना चाहिए। वह भी पूरी तरह से स्वच्छ, लेकिन इन दिनों लोगों को एक लीटर पानी भी पीने योग्य नहीं मिल पा रहा है। वैसे भी लोगों को प्रतिदिन करीब साढे बारह लाख लीटर पानी प्रति दिन के हिसाब से कम मिल रहा है। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि फिलहाल साढे 55 लाख लीटर पानी मिल रहा है। शहरी क्षेत्र में 135 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से पेयजल उपलब्ध कराने के सरकार ने मापदंड निर्धारित किए है। शहर के लोगों को 100 से 110 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी दिया जा रहा है। वह भी एक दिन छोड़कर एक दिन।

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बढ़ती हैं जलजनित बीमारिया

डा. राकेश का कहना है कि मटमैले व दूषित पानी पीने से लोग जलजनित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। लोगों को उल्टी, दस्त, पत्थरी, डायरिया जैसी बीमारिया फैलने का भय बना रहता है। क्योंकि पीने के पानी के साथ आ रहे मिट्टी के छोटे कण पानी के साथ लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उनका कहना है कि लोगों को पानी की फिल्टर करके या फिर उसे उबाल कर ठंडा करके ही पीना चाहिए।

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नहर से आ रहा मटमैला पानी

जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के उपमंडल अधिकारी का कहना है कि अब नहरों से मिट्टी मिला हुआ पानी आ रहा है। जो फिल्टरों से भी साफ नहीं हो पा रहा है। उनका कहना है कि फिल्टरों से पानी को साफ करने के बाद भी मिट्टी के कण पानी के साथ आ रहे हैं। जिसकी वजह से मटमैला पानी आ रहा है। उनका कहना है कि अभी पानी में दवाई आदि डालकर पानी को सप्लाई किया जा रहा हैं।

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नहर में आ रहा बरसात का पानी

सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता रमेश कुमार का कहना है कि नहर में नदियों से बरसात का मिट्टी मिला हुआ पानी आ रहा है। बरसात का सीजन खत्म होने के बाद स्थिति में सुधार हो जाएगा।


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