इनेलो के सस्पेंस पर टिकी सबकी नजरे
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : टिकट की टिक-टिक में अबकी बार सबसे ज्यादा नजरे इनेलो की टिकट पर है। इस बार पार्टी में बहादुरगढ़ सीट को लेकर जो सस्पेंस बना हुआ है। वैसी स्थिति पहले कभी नहीं रही। दो दिन से जो नाम कार्यकर्ताओं और समर्थकों की जुबा पर चल रहा है। वह अप्रत्याशित रहा है, ऐसे में अब पार्टी की तरफ से प्रत्याशियो की सार्वजनिक घोषणा का बेसब्री से इतजार हो रहा है।
दरअसल 18 साल से टिकट के नाम पर इनेलो में बहादुरगढ़ सीट से एक ही नाम रहा है, मगर इस बार ऐसा नहीं है। कई और नेता उभरकर दावेदारी जता चुके है। पिछले तीन साल से तो बहादुरगढ़ से कुल मिलाकर पाच नेता अपनी दावेदारी जताते रहे है और लगभग दो महीनो से समर्थकों के साथ दिल्ली में टिकट पाने की होड़ लगी रही। पार्टी के शीर्ष नेताओं के सितारे इन दिनों गर्दिश में होने के कारण किसी को भी नाराज करना मुनासिब नहीं समझा जा रहा। यहीं वजह है कि बहादुरगढ़ सीट पर फैसले को इस बार काफी अहम माना जा रहा है। औपचारिक तौर पर अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है लेकिन अनौपचारिक तौर पर इनेलो की टिकट को लेकर बहादुरगढ़ में शोर खूब है।
दो दिन से तैर रहा एक नाम
दावेदारी ज्यादा होने और सभी दावेदारों में 36 का आकड़ा होने के कारण शीर्ष नेतृत्व ने इस बार गुटबाजी को दरकिनार करके नए नाम को चर्चा में ला दिया है। दो दिन से ऐसे नेता का नाम होने वाले पार्टी प्रत्याशी के तौर पर बहादुरगढ़ की राजनीतिक हवा में तैर रहा है। जो कई साल से सक्रिय तो नहीं, लेकिन वफादारों और निष्ठावान कार्यकर्ताओं में गिनती के चलते यह सम्मान बख्शा जा रहा है। इस नेता ने तो बाकायदा थोड़ा-थोड़ा प्रचार भी शुरू कर दिया है। इस पूरी स्थिति पर ही सस्पेंस बना हुआ है। औपचारिक घोषणा हुई नहीं है और अन्य दावेदार आखिर तक कोशिश छोड़ना नहीं चाहते, इसलिए कोई भी यह साफ-साफ कहने को तैयार नहीं कि पार्टी का टिकट फाइनल हो चुका है या नहीं। इतना जरूर है कि तीन दावेदार तो इस नाम के बाद मैदान छोड़ चुके है और उनके चेहरे भी लटके हुए है, लेकिन दो से तीन दावेदार ऐसे है जो अभी पत्ते नहीं खोल रहे। इसे पार्टी अनुशासन कहे या फिर राजनीतिक शतरज की चाल, जिससे कि इन दावेदारों के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा। इन दावेदारों से बातचीत की जाए तो हर कोई अपनी जुबा से कुछ कहने के नाम पर पीछे हट रहा है। खास बात तो यह है कि इनेलो की टिकट की घोषणा को लेकर कभी भी किंतु-परतु की स्थिति नहीं रही। साफ और स्पष्ट तौर पर दो टूक शब्दों में यह घोषणा हर बार होती रही है लेकिन इस बार हर पहलू को तोला जा रहा है। पार्टी में टिकट के एक प्रमुख दावेदार तो कहते है कि निष्ठावान कार्यकर्ता का काम पार्टी के प्रति काम करने का होता है। टिकट की परवाह करना नहीं। जो पार्टी का फैसला होता है वह निजी स्तर पर नहीं होता। बल्कि जनता के बीच ही सार्वजनिक होता है। अन्य प्रमुख दावेदार कहते है कि जब से पार्टी से जुड़ा हू तब से सिर्फ पार्टी के लिए काम किया है। टिकट घोषणा का अधिकार शीर्ष नेतृत्व को है। पार्टी का जो आदेश है या फिर होगा, उसी के मुताबिक कार्य किया जाएगा। वहीं एक जिला स्तरीय नेता कहते है कि चुनाव नजदीक आते है तो टिकट मागने और आश्वासन मिलने का सिलसिला तो चलता ही है। पार्टी ने जिस तरह 62 सीटों की घोषणा कर दी है वैसे ही 28 पर भी घोषणा हो जाएगी। उसके बाद सब कुछ जनता के सामने ही होगा।