शहीदी पार्क की नहीं बदली तकदीर
जागरण संवाददाता, झज्जर : शहीदी पार्क की हालत बद से बदतर होती जा रही है लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इक्का-दुक्का मौकों पर पार्क की डेंटिंग पेंटिंग करके खाना पूर्ति करने की कोशिश की जाती है। पार्क से यहां के शहीदों की शहादत की यादें जुड़ी हुई है। लेकिन इस पार्क की बदहाल अवस्था को देखकर मालूम पड़ता है कि आज के समय में हरियाणा सरकार और यहां के अधिकारियों के पास शहीदों को याद करने का समय ही नहीं है।
झज्जर का शहीद पार्क 1857 के में हुई क्रान्ति में शहीद योद्धाओं की याद में बनवाया गया था आज उसकी हालत बदहाल अवस्था में नजर आ रही है। यहां सरकार की ओर से सुविधाएं तो उपलब्ध कराई गयी है लेकिन आज के समय में सब की सब ठप्प पड़ी है। यहां सुबह से शाम तक प्रेमी जोड़ों और जुआरियों के अलावा कोई नहीं आता है। जबकि इस पार्क का इस्तेमाल सुबह की ताजा हवा लेकर व्यायाम आदि कर किया जा सकता है। पार्क में लगे हरे पेड़ पौधों से स्वच्छ हवा के द्वारा शारीरिक लाभ भी लिया जा सकता है। हरियाणा सरकार ने इस पार्क का निर्माण कर यहां के स्थानीय निवासियों के लिए एक अच्छी सुविधा देने की कोशिश तो की लेकिन उसके बाद शायद इस पार्क की लेकिन पलटकर तक नहीं देखा। आलम यह है कि इस पार्क में लाइट तो है लेकिन ज्यादातर खराब पड़ी है पानी भी हे लेकिन पीने के लिए कोई टंकी या नल की सुविधा नहीं है। वही पार्क के से सटा हुआ एक तालाब भी है। यह भी पूरी तरह से जर्जर है। यह तालाब करीब दौ सौ वर्ष पुराना है। मुस्तफा कलाल की बेटी बुआ ने अपने प्रेमी हसन की याद में बनवाया था। जानकार बताते हैं कि यह राजघराने का शाही तालाब था जिसमें वो नहाते थे। होना तो चाहिए था कि इन अनूठी चीजों को सहेजकर रखा जाता लेकिन किसी का भी ध्यान इन पर नहीं है। स्वतंत्रता दिवस आने वाला है उसके बाद भी प्रशासन को शहीदों से जुड़ी इस अनूठी याद की परवाह नहीं है। नगर पालिका सचिव राजेश वर्मा का कहना है कि पार्क की दशा को सुधारने के लिए काम किया जाता रहा है लेकिन लोग भी अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं हैं। लोगों को भी चाहिए कि वे पार्क को सुंदर बनाए रखने में शिद्दत से जुटे।