हाइटेंशन बनी मौत का कनेक्शन
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : शहर में दर्जनों कालोनियो के उपर से गुजर रही बिजली की हाइटेशन लाइनों को हटवाने का मामला खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। सरकारी स्तर पर घोषणाएं हुई और नगर परिषद ने भी प्रस्ताव पारित किए मगर नतीजा कुछ नहीं निकाला। विद्युत निगम ने तो कई बार एस्टीमेट बनाया मगर पैसा कहा से मिले, इस पर मसला अटका पड़ा है।
कई बार इस मुद्दे पर चर्चा हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कई वर्षो में 33 केवी की हाइटेशन लाइनों से शहर के अंदर अनेक हादसे हो चुके है। कुल मिलाकर 15 से ज्यादा लोग इन लाइनों की चपेट में आकर मौत का शिकार हो चुके है। इसके अलावा कोई न कोई हादसा इन लाइनों से होता ही रहता है। कभी तार ढीले होकर घरों पर आ टिकते है तो कभी खंभा टूट जाता है। एक दर्जन से ज्यादा कालोनियों के सैकड़ों घरों में रह रहे परिवार हर समय मौत के साये में जीते है। नगर परिषद की मेहरबानी इन परिवारों को जीवनभर के लिए राहत दे सकती है। नप के जनप्रतिनिधि भी खजाना भरा होने की बात कहते है। ऐसे में शहर से हाइटेशन लाइनों को हटाकर दूसरी जगह से लगाने के लिए बिजली निगम को अनुमानित तौर पर सवा करोड़ के बजट की दरकार है।
पाच साल पहले उठी थी मांग
वैसे तो शहर से हाइटेशन लाइन को हटाने की मांग काफी पुरानी है लेकिन वर्ष 2009 में जब एक कालोनी में बिजली का एक खंभा टूटा और कई दिन तक शहर अंधेरे में रहा तब लोगों ने आबादी हिस्से से हाइटेंशन लाइन हटाने की पुरजोर मांग उठाई थी। बिजली निगम ने इसके लिए खर्च का एस्टीमेट बनाया था, जो निगम के चीफ इंजीनियर को भेजा गया था। वहां से यह सवाल उठा कि इस बजट को कौन जमा करवाएगा? तब गेंद नप के पाले में आ गई थी।
कौन-कौन सी कालोनी है प्रभावित
मुख्य तौर पर दो हाइटेशन की लाइनें गुजरती है। इनमें से एक लाइन पार क्षेत्र में है और दूसरी शहर में सेक्टर-नौ से लेकर सामान्य अस्पताल तक जाती है। शहर के अंदर सेक्टर-नौ, आर्य नगर, आनन्द नगर, फ्रेंडस कालोनी, विजय नगर, बसंत विहार, देवी कालोनी, महावीर पार्क, रणजीत कालोनी, शक्ति नगर, छोटूराम पार्क, नेहरू पार्क के ऊपर से 33केवी दिल्ली-बहादुरगढ़ फीडर की लाइन गुजरती है। एस्टीमेट में इस लाइन को सेक्टर-नौ से होते हुए बाइपास, झज्जार रोड, सेक्टर दो व छह से लेकर नेशनल हाइवे पर सामान्य अस्पताल तक और वहां से बिजली घर तक पहुंचाया जा सकता है। पार्षद वजीर राठी का कहना है कि सरकार की ओर से गंभीरता से इस मामले को लिया जाए तो इसका समाधान हो सकता है।
\द्भपैसा नगर परिषद दे या सरकार कोई नीति लाए
बिजली निगम के उपमंडल अभियंता आशीष धनखड़ का कहना है कि या तो एस्टीमेट का पैसा नगर परिषद जमा कराए या फिर सरकार को कोई नीति लेकर आनी चाहिए जिससे खर्च निगम को मिले। उन्होंने बताया कि निगम की ओर से सिर्फ लाल डोरे के अंदर तो बिजली लाइनों की शिफ्टिग की जा सकती है, इससे बाहर के क्षेत्र में नहीं।