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गर्मी बढ़ते ही निजी पेयजल सप्लायरों की हुई चादी

By Edited By: Published: Tue, 22 Apr 2014 11:07 PM (IST)Updated: Tue, 22 Apr 2014 11:07 PM (IST)
गर्मी बढ़ते ही निजी पेयजल सप्लायरों की हुई चादी

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : कैसी विडबना है कि एक तरफ पेयजल व्यवस्था पर सरकार की तरफ से लाखों का खर्च किया जा रहा है दूसरी तरफ निजी पेयजल सप्लाई का व्यवसाय आए दिन फल-फूल रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही क्षेत्र में पेयजल की निजी आपूर्ति का व्यवसाय बढ़ गया है। ऐसे में सप्लायरों की भी चादी हो गई है।

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पानी के कुछ कारोबारी सामान्य पानी में बर्फ मिला इसे आरओ और फिल्टर किया हुआ ठंडा पानी बताकर बेच रहे हैं। जानकारों के अनुसार क्षेत्र में सप्लाई किया जा रहा यह कथित फिल्टर वाटर किसी भी दृष्टिकोण से साधारण पानी से उत्तम नहीं है। इसकी एवज में लोगों से 300-400 रुपये प्रतिमाह शुल्क वसूले जा रहे हैं। कैंपरों के माध्यम से पानी की सप्लाई करने वाले लोगों के पास इस समय सास लेने की भी फुर्सत नहीं है। इस व्यवसाय में कम लागत पर ज्यादा मुनाफा होने की वजह से पानी का धंधा करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। तापमान बढ़ने के साथ ये लोग अपने रेट भी बढ़ा देते हैं। क्षेत्र में दुकानों व निजी कार्यालयों में पानी के कैंपर रखने का काम लगभग दस साल से चल रहा है। खास बात यह है कि सप्लायरों की संख्या भी बढ़ गई है। क्षेत्र में लगभग आधा दर्जन गाड़ियों से पानी की सप्लाई की जा रही है। दुकानदारों ने बताया कि जहा पहले पानी के ये कैंपर 100 रुपये प्रति माह की दर पर वितरित किए जाते थे, वहीं अब ये कैंपर 300-400 रुपये प्रतिमाह की दर पर वितरित किए जा रहे हैं। इसी प्रकार शादी-विवाह के अवसर पर मंगाए जाने वाले पानी के टैंकर चालक पहले 500 रुपये प्रति टैंकर के वसूलते थे, लेकिन अब वो भी 1000 रुपये प्रति टैंकर वसूल कर रहे हैं।

गावों में भी हो रही सप्लाई

ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल के पारपरिक स्त्रोत ठप होने और कई जगह पानी खारी होने के कारण गावों में भी टैंकरों के जरिये पानी बेचने का व्यवसाय बढ़ गया है। बराही और आसपास के गावों में सुबह-शाम ऐसे टैकरों से सप्लाई हो रही है। यहा पर प्रतिदिन दो रुपये मटका प्रति घर को पानी बेचा जा रहा है। इसकी एवज में प्रति माह 150 रुपये वसूले ला रहे है। ग्रामीण पंकज, संजय, राजबीर व नरेंद्र का कहना है सरकार व प्रशासन की नाकामी के कारण ही लोगों को पानी भी खरीदना पड़ रहा है।


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