ग्रामीण नहीं दे रहे पानी का बिल
संवाद सूत्र, साल्हावास : ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का बिल भरने में लोग कोई रूची नहीं दिखा रहे हैं। पैसा वसूलने के लिए सरकार ने योजना बनाई थी कि पंचायतों को यह जिम्मा दिया जाए कि लोगों से बिल किस तरह से लिया जाए लेकिन ज्यादातर पंचायतों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
हिदायत थी कि जिन पंचायतों को ट्यूबवैल हस्तांतरित किए जा चुके हैं वहां पैसा लेने का काम शुरू किया जाए। पानी की दरें भी महकमे ने नए सिरे से परिभाषित की थीं। पहली श्रेणी में मीटर के हिसाब से बिल लिया जाएगा। घरेलू मद में दिए जाने वाले पानी पर उपभोक्ता को एक रुपये प्रति किलो लीटर के हिसाब से पैसा देना होगा। जबकि उद्योग तथा व्यावसायिक मद में लिए गए कनेक्शन का चार्ज 4 रुपये प्रति किलो लीटर के तौर पर देना होगा। अन्य कार्यो के लिए जो कनेक्शन लिए गए हैं उन्हें निजी की श्रेणी में रखा जाएगा। इसमें खाली प्लाट तथा मवेशियों की देखभाल की जगह शामिल है। इस तरह के कनेक्शनों पर मीटर नहीं लगाए जा रहे हैं। उपभोक्ता से पांच सौ रुपये कनेक्शन फीस के तौर पर लिए जाएंगे और उसे प्रति माह बीस रुपये देने होंगे। सिक्के का दूसरा पहलू यह है किर गांव वाले पानी का इस्तेमाल तो जमकर कर रहे हैं लेकिन बिल के रूप में एक पैसे की वसूली नहीं हो पा रही। तय किया गया था कि जन स्वास्थ्य विभाग पानी के कनेक्शन तथा ट्यूबवेल का काम करके आगे की जिम्मेदारी पंचायतों पर छोड़ दे। उनका काम होगा लोगों से बिल वसूल करने का। उसके बाद वे रिपोर्ट महकमे को देंगे कि कितनी वसूली कहां से हुई। साल्हावास ब्लाक में 36 गांव हैं। क्षेत्र में ज्यादातर गांवों में अवैध कनेक्शन हैं। जब महकमे के लोग जाते हैं तो लोग कनेक्शन हटा लेते हैं। अगर किसी को रंगे हाथ पकड़ भी लो वह जुर्माना नहीं भरता। इस के मद्देनजर ही पंचायतों को इस काम में लगाया गया था लेकिन गुटबाजी के चलते पंचायतें इस काम को हाथ में लेने से ही कतरा रही हैं। यही वजह है कि अभी तक पंचायतों ने एक पैसा भी वसूलकर नहीं दिया है। बीडीपीओ का कहना है कि इस बात को लेकर कई बार बैठकें हो चुकी हैं लेकिन हल नहीं निकल रहा।