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अदालत के फैसले से आसौदा में पसरा सन्नाटा

By Edited By: Published: Sun, 13 Apr 2014 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 13 Apr 2014 01:00 AM (IST)
अदालत के फैसले से आसौदा में पसरा सन्नाटा

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : आसौदा गांव में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच ठीक छह साल पहले खूनी संघर्ष हुआ था। इसमें 12 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इनमें से बाद में एक महिला व युवक ने दम तोड़ दिया था। शनिवार को अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुना दिया। फैसले में ज्यादातर आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा मिलने से गाव में सन्नाटा पसरा हुआ है।

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आसौदा गांव में 16 अप्रैल 2008 को भूमि विवाद को लेकर रामचंद्र व जगबीर पक्ष में जमकर फरसे, लाठियां व ईटें चली थी। इसमें एक पक्ष रामचंद्र और दूसरा जगबीर का था। घायलों में रामचंद्र पक्ष से ओमप्रकाश, कृष्णा, सुदेश, सुरेद्र, सुरेश व दफे सिंह को पी.जी.आई. रेफर कर दिया गया था। जबकि महिला रानी, महेद्र, सितार सिंह, रामचंद्र, कृपाराम, लाभ सिंह व संदीप का यहां के सामान्य अस्पताल में उपचार किया गया था।

यह था मामला : पुलिस के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच जमीन से मिट्टी उठान को लेकर विवाद शुरू हुआ था। झगड़े से पहले रामचंद्र पक्ष द्वारा मिट्टी उठान का कार्य किया जा रहा था जिस पर दूसरे पक्ष द्वारा आपत्ति जताई गई थी। इस पर दोनों पक्षों में कहासुनी हुई थी। बाद में यह मामला पुलिस तक भी पहुंचा। आरोप यह भी लगा था कि तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की अनदेखी कर दी थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि अगली सुबह दोनों पक्षों के बीच खूनी संघर्ष शुरू हो गया। कई देर तक दोनों ओर से ईटे, फरसे व लाठियां चली। इसमें एक महिला व युवक ने दम तोड़ दिया था।

पुलिस की सूची में 21 आरोपी, 48 गवाह : पुलिस की ओर से इस मामले में रामचंद्र पक्ष के युवक के ब्यान पर जगबीर पक्ष के हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के मुताबिक इस मामले को लेकर आरोपियों की सूची में कुल 21 नाम हैं जबकि गवाहों की सूची में 48 नाम है। बताते है कि फैसले की तारीख पहले मुकर्रर की गई थी। मगर उस दिन आरोपियों में से नवीन और पूर्ण अदालत में पहुचने के बाद वहा से फरार हो गए थे। इसके चलते अदालत ने फैसला टाल दिया था। शनिवार को आखिरकार फैसला आ ही गया। अदालत से ज्यादातर आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा होने के बाद गाव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गाव के लोग इस मामले को लेकर चुप है। शनिवार को जैसे ही फैसले की खबर गाव में पहुची तो लोगों के बीच इस पर ही दबी जुबान में चर्चाएं थी। उधर, पीड़ित पक्ष ने इस कानून से मिला न्याय ठहराया है।


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