अच्छी फसल के लिए खरपतवार हटाना जरूरी : डॉ. कौशिक
जागरण संवाद केंद्र, बहादुरगढ़ :
कृषि विभाग के एसडीओ सुनील कौशिक ने किसानों को सलाह दी है कि फसल की अच्छी पैदावार के लिए खेतों से खरपतवार हटाना जरूरी है। यदि खरपतवार पर रोकथाम न हो तो पैदावार पर यह प्रतिकूल असर डालते हैं। इससे पैदावार में करीब 30 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है।
डॉ. सुनील कौशिक ने बताया कि अन्य फसलों के मुकाबले सबसे ज्यादा खरपतवार गेहूं की फसल में होते है। इनमें मुख्य रूप से शंकरी पत्तियों वाले खरपतवार में मंडूसी, कनकी तथा जंगली जई शामिल है। जबकि चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार में बथुवा, जंगली पालक, जंगली गाजर, जंगली मटर आदि-आदि शामिल है। उन्होंने बताया कि इनकी रोकथाम के लिए विशेषकर शुद्ध बीज का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही यह भी जरूरी है कि खेत में सड़ी-गली गोबर खाद डालनी चाहिए, क्योंकि ताजा गोबर खाद डालने से खेत में खरपतवार अधिक हो जाते है। रासायनिक दवाओं के प्रयोग से भी खरपतवार पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन यदि किसान निराई-गुडाई करके खरपतवार पर काबू पाने का प्रयास करे तो इससे भूमि की संरचना भी फसल के विकास के लिए अनुकूल हो जाती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए दवाओं का छिड़काव बिजाई से करीब 35 दिन बाद करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि जंगली पालक पर नियंत्रण के लिए एलग्रीप दवा की 8 ग्राम मात्रा 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करना चाहिए। जबकि संकरी पत्ती वाले खरपतवार की रोकथाम के लिए 500 ग्राम आइसोप्रोटूरान (75 प्रतिशत) को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करना चाहिए। जहां धान-गेहूं फसल चक्र कई वर्षो से चला आ रहा है वहां टोपिक 160 ग्राम या पूमासुपर 480 मि.लीटर 280 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 30-35 दिन बाद छिड़काव करना चाहिए।
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