मनुष्य ही नहीं पशु भी तनाव के शिकार, प्रजनन क्षमता पर पड़ रहा असर
लुवास में देश विदेश से 400 से अधिक वैज्ञानिक आए हुए हैं। इंडियन सोसाइटी फॉर वेटरनरी सर्जरी द्वारा आयोजित 43वीं वार्षिक गोष्ठी में पशुओं में तनाव को कम करने का उपाय भी सुझाएंगे।
हिसार, जेएनएन। बदलते माहौल में मनुष्य ही नहीं पशु भी तनाव के शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह से जानवरों में बीमारियों से लडऩे की क्षमता, उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता पर असर पड़ रहा है। इसलिए इस विषय पर वैज्ञानिकों द्वारा मंथन किया जाना आवश्यक है। ये बातें लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के कुलपति डॉ. गुरदियाल सिंह ने कहीं। इससे पहले उन्होंने लुवास में इंडियन सोसाइटी फॉर वेटरनरी सर्जरी(आइएसवीएस) की 43वीं वार्षिक गोष्ठी का शुभारंभ किया।
गोष्ठी की अध्यक्षता पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. दिवाकर शर्मा ने की। इस गोष्ठी में देश-विदेश के 400 से अधिक वैज्ञानिक, शिक्षक व छात्र भाग ले रहे है। मंथन करेंगे। तीन दिनों तक चलने वाली इस संगोष्ठी में पशुओं में सर्जरी के दौरान होने वाले तनाव (स्ट्रेस) को कम करने के उपाय पर मंथन किया जाएगा।
डॉ. गुरदियाल सिंह ने कहा कि गोष्ठी के जरिए नए शोधों के प्रसार के साथ-साथ भविष्य में पशुशल्य चिकित्सा को और अधिक उन्नत करने के उपायों एवं अवरोधों को चिन्हित करने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पशुओं में सर्जरी के दौरान होने वाले तनाव को कम करने के उपाय करना वर्तमान समय में महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के सचिव डॉ अशोक कुमार ने सम्मानित सर्जनों को धन्यवाद दिया।
हिसार में 1977 में आइएसवीएस की हुई थी स्थापना
इंडियन सोसाइटी फॉर वेटरनरी सर्जरी की स्थापना सन 1977 में हिसार में हुई थी और अब लुवास विवि ही इसका मुख्यालय है। इस सोसाइटी के देश और विदेश में तीन हजार से अधिक आजीवन सदस्य है। पशुशल्य चिकित्सा संस्था के अध्यक्ष डॉ. गजराज ङ्क्षसह ने बताते हैं कि शल्य चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकों अल्ट्रासाउंड, लेप्रोस्कोपिक, एंडोस्कोपिक, सीआरएम, इकोग्राफी आदि का उपयोग भी किया जाना चाहिए। इस संगोष्ठी के दौरान पशुओं में सर्जिकल तनाव (स्ट्रेस) को कम करने के साथ-साथ पिछले साल एनेस्थीसिया, पक्षी सर्जरी, वन्यजीव सर्जरी, पालतू पशु एवं पशुधन की सर्जरी, पशुओं में आखों की सर्जरी एवं हड्डी की सर्जरी सम्बन्धी हुए शोधपत्र भी प्रस्तुत किये जाएंगे।
इन्होंने जीवन भर वेटनरी में दिया अमूल्य योगदान
इंडियन सोसाइटी फॉर वेटरनरी सर्जरी के पदाधिकारियों व कुलपति डॉ. गुरदियाल ङ्क्षसह द्वारा सम्मानित किया गया। वेटरनरी सर्जरी में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ. आरपीएस त्यागी, व्याख्यान पुरस्कार तमिलनाडू के पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय चेन्नई के पूर्व कुलपति डॉ. एस. थिलेगर को दिया गया। वहीं डॉ. रतन ङ्क्षसह मेमोरियल अवार्ड पशु शल्यचिकित्सा के क्षेत्र में विशेषकर संज्ञाहरण के ऑपरेशन के लिए उत्कृष्ट सर्जन लुवास के सेवानिवृत डॉ. डी. कृष्णामूर्ति को दिया गया।
इनको भी किया गया सम्मानित
इसी कार्यक्रम में डॉ. अरुप कुमार दास (पंतनगर), डॉ. एस. धर्मशीलन (नम्मकल तमिलनाडु) व डॉ. संदीप अरकरे (नागपुर) को उनकी उपलब्धियों के लिए सोसाइटी की मानद फेलोशिप से अलंकृत किया गया। इसके साथ ही पशु शल्य चिकित्सा रेडियोलॉजी व एनेस्थिसिया में पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुत शोध कार्यो के लिए 12 स्वर्ण पदक और 12 प्रशंसा पत्र भी दिए गए। नए टैलेंट को बढ़ावा देने के लिए यंग सर्जन अवार्ड और पशु चिकित्साल्यों में श्रेष्ठ सेवा देने के लिए डॉ. विगनेश वरन, डॉ. सरीत कुमार पात्रा और डॉ. आमोल यामगर को बेस्ट फील्ड वेटेरिनेरियन अवार्ड दिया गया।