महिला थाने का एक साल : शिकायतें 1483..और 1302 में कराया समझौता
जागरण संवाददाता, हिसार : महिलाओं में सुरक्षा की भावना पैदा करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए एक
जागरण संवाददाता, हिसार :
महिलाओं में सुरक्षा की भावना पैदा करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए एक साल पहले हिसार में महिला थाना खोला गया था। थाना खुलने के साथ ही महिलाएं और युवतियां नि:संकोच अपनी शिकायतें एवं पीड़ा महिला पुलिस से साझा करने लगीं। यही वजह है कि पुलिस के लिए नारी की परेशानी को समझना आसान हुआ तो घर बसाने की सोच उत्पन्न हुई। एक रास्ता नजर आया, जिस पर चलकर महिला थाने ने रिकॉर्ड कायम कर दिखाया। बता दें कि पुलिस लाइन में 28 अगस्त 2015 को महिला थाने का उद्घाटन हुआ था। उस दिन से लेकर अब तक 1483 महिला उत्पीड़न संबंधित शिकायतें थाने में प्राप्त हुईं। सुखद पक्ष यह कि इनमें से 1302 मामलों में समझौता करवा दिया गया। जिन विवाहिताओं का घर उजड़ने के कगार पर था, उन्हें फिर से बसा दिया गया। इतना ही नहीं जहां महिला थाना खुलने के बाद महिला उत्पीड़न के दर्ज मामलों के ग्राफ में कमी आई है। अभी तक महज 108 एफआइआर दर्ज हुई हैं। इनमें छेड़छाड़, दहेज प्रताड़ना, दुष्कर्म व कुकर्म संबंधित हैं। चार मामलों में दोषियों को सजा हो चुकी है।
यह रहता है प्रयास
महिला थाना पुलिस का प्रयास विवाहिताओं के घर बसाने का रहता है। किसी भी तरह दोनों पक्षों के विचार मिल जाए और घर बसाकर राजी-खुशी रहने लगे। इसलिए तीन बार काउंसलिंग के माध्यम से उन्हें समझाया जाता है और अधिकतर मामलों में पुन: घर बसाने की सकारात्मक पहल होती है। एक-तरह से परिवारों के बीच विश्वास, इमानदारी की भावना पैदा होती है।
इन मामलों में होता है केस
महिलाओं से उत्पीड़न जिनमें दुष्कर्म, छेड़छाड़ इत्यादि मामलों में केस दर्ज को प्राथमिकता दी जाती है। इसमें महिला पुलिस मामले की सच्चाई का पता लगाकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करती है। थाना पुलिस का प्रयास रहता है कि दर्ज केसों में आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी करके पीड़िता को संतुष्ट किया जाए। उसे न्यायालय में न्याय दिलाना चाहिए।
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महिला थाना खुले एक साल पूरा हो गया है। महिलाएं अब अपनी पीड़ा खुलकर बताने लगी हैं। प्रयासरत रहता है कि दहेज प्रताड़ना एवं घरेलू ¨हसा मामलों में घर उजड़ने ना दिया जाए। इसके लिए सकारात्मक काउंसलिंग होती है, जिसके सुखद परिणाम आते हैं।
-सरोज, एसएचओ महिला थाना।