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आधुनिकता की दौड़ में पिछड़ गया बीएसएनएल

प्रदीप दूहन, हासी : टेलीफोन सेवा के क्षेत्र में कभी लोगों की पहल

By Edited By: Published: Sat, 02 Jul 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2016 01:00 AM (IST)
आधुनिकता की दौड़ में पिछड़ गया बीएसएनएल

प्रदीप दूहन, हासी : टेलीफोन सेवा के क्षेत्र में कभी लोगों की पहली पसंद रही भारत संचार निगम लिमिटेड दूरसंचार सेवाओं के क्षेत्र में आधुनिकता की दौड़ में लगातार पिछड़ता जा रहा है। वर्ष 2000 में लैंड लाइन फोन सेवा से हासी में शुरू हुई दूरसंचार सेवा में बीएसएनल ने भले ही समय-समय पर मोबाइल व ब्राडबैंड आदि अनेक नवीनतम तकनीक लोगों को उपलब्ध करवा दी हों लेकिन बावजूद इसके भी नेटवर्क सेवाएं उपलब्ध करवा रही अन्य कंपनियों ने लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफलता हासिल की और इन्हीं कारणों से बीएसएनएल लगातार पिछड़ता चला गया। अब हालात ये हैं कि 8 साल पहले हासी शहर व आसपास के गावों में लैंड लाइन के 12 हजार कनेक्शन अब मात्र 2100 तक सिमट कर रह गए हैं। हैरत की बात यह है कि इन बचे हुए कनेक्शनों में भी अधिकांश उपभोक्ता केवल इंटरनेट सेवाओं के इस्तेमाल के लिए बीएसएनल के ये कनेक्शन सुचारु रखे हुए हैं।

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दूरसंचार विभाग हासी से प्राप्त आकड़ों के अनुसार शहरी तर्ज पर हासी में बड़े स्तर का बीएसएनएल कार्यालय वर्ष 2000 में शुरू हुआ था और उसके बाद कई वर्षो तक लोगों में बीएसएनएल का लैंडलाइन कनेक्शन लेने की होड़ लगी थी जिसके चलते लगभग 12 हजार कनेक्शन शुरू हो गए थे। इनमें से 7 हजार शहर के व 5 हजार गावों के उपभोक्ता थे। इसके बाद हासी में साल 2008 में बीएसएनएल नेटवर्क पर इंटरनेट सेवा भी शुरू कर दी गई थी। विभाग के एक अधिकारी के अनुसार अब औसतन एक सप्ताह में एक नया कनेक्शन लगता है और प्रतिदिन औसतन दो कनेक्शन कट रहे है। इसी ये आकड़ा इसी प्रकार चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब बीएसएनएल उपभोक्ताओं की सूची न के बराबर हो जाएगी।

-शिकायतों के निपटारे में देरी से घटते चले गए उपभोक्ता

बीएसएनएल के एक अधिकारी के अनुसार उपभोक्ताओं की घटती संख्या के कारणों पर नजर डालें तो बार-बार टेलीफोन की तारे टूटना तथा कई-कई दिनों तक शिकायतों का निपटारा न होना मुख्य कारण है। उन्होंने बताया कि साल 2009 में सीडीआर आने से कनेक्शन कम होते चले गए क्योंकि सीडीलआर में बिल समय पर नहीं मिलते थे और डाक द्वारा भी लोगों के पास समय पर बिल पहुचने में दिक्कतें आती थी।

-2 हजार से 500 रुपये तक हो गई नये कनेक्शन की फीस, मोडम भी किया फ्री

बीएसएनएल द्वारा शुरू की गई नई-नई लुभावनी योजनाएं भी उपभोक्ताओं को नहीं रिझा सकी। प्राप्त आकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 में नये टेलीफोन कनेक्शन के लिए 2 हजार रुपये फीस थी और करीब डेढ़ साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी और अब उपभोक्ताओं के घटने पर मात्र 500 रुपये सिक्योरिटी फीस जमा करवाई जाती है और एक दिन में कनेक्शन लगा दिया जाता है। इंटरनेट के लिए मोडम का चार्ज भी 1800 रुपये लिया जाता था जो अब नये कनेक्शन के साथ उपभोक्ता को निश्शुल्क उपलब्ध करवा दिया जाता है।


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