Move to Jagran APP

काश कि म्हारे नीतिकार दो-दो हाथ का माद्दा दिखाते

- परंपरागत व गैर परंपरागत स्रोत से बिजली उत्पादन के जरिये औद्योगिक विकास को नीतिगत बदलाव की दरकार

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 12:58 AM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 12:58 AM (IST)
काश कि म्हारे नीतिकार दो-दो हाथ का माद्दा दिखाते

- परंपरागत व गैर परंपरागत स्रोत से बिजली उत्पादन के जरिये औद्योगिक विकास को नीतिगत बदलाव की दरकार

loksabha election banner

प्राइम इंट्रो :

किसी भी देश के समग्र विकास के लिए वक्त के साथ कदमताल कर नीतियों में संशोधन आवश्यक माना गया है। कई विकसित व विकासशील प्रांतों ने भी इस सद्वाक्य को आत्मसात कर विकास की सीढि़यां तय की हैं। इन प्रांतों ने जब-तब नीतिगत बदलाव किये हैं। इनमें पड़ोसी प्रांत पंजाब ने बाजी मारी है। उपभोक्ता बाजार में अव्वल तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर मामले में पांच बड़े राज्यों में शुमार पंजाब ने अपनी औद्योगिक नीति में वर्ष 2013 में संशोधन कर विकास की राह में आ रही बाधाओं से लड़ने का माद्दा दिखाया है। इधर, हरियाणा वर्ष 2011 की लकीर पीट रहा है। इस दौरान समय बदला, सरकार बदली। अगर नहीं बदली तो तीन साल पुरानी नीति ..। नतीजा ..? वही। प्रदेश के समग्र औद्योगिक विकास को लग रहा ग्रहण ..। दुखद तो यह कि न तो परंपरागत और न ही गैरपरंपरागत उर्जा स्रोत को बढ़ावा देने की ठोस नीति बनाई गई। वर्तमान सरकार अभी पहली बार सत्ता की खुमारी से बाहर नहीं निकल पाई है। सरकार उद्यमियों की समस्याएं जानेगी। इसके लिए हाईपावर कमेटी बनेगी। फिर एक्शन प्लान तैयार होगा। इतने में एक और वित्तीय वर्ष बीत जाएगा। समस्या जस की तस। काश कि हमारी सरकार के नीतिकार समस्याओं से दो-दो हाथ करने की नई नीति बनाने का माद्दा दिखाते .. .. ..।

मणिकांत मयंक, हिसार

उद्योग की रीढ़ बिजली की सस्ती दर पर उपलब्धता प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों के लिए आज भी दूर की कौड़ी है। इसका सबसे बड़ा कारण है नीति-निर्धारण स्तर पर सरकारी सोच का दिवालियापन। प्रदेश के उद्योग को निजी कंपनियों से बिजली खरीदने की विवशता के पीछे समय-समय पर नीति में संशोधन के प्रति उदासीनता अहम माना जा रहा है। अव्वल यह कि पंजाब ने सालभर पहले नीतियों में संशोधन किया है तो राजस्थान ने पावर सेक्टर के लिए अनेक योजनाएं बनाई है। वाजिब तौर पर हरियाणा को भी औद्योगिक नीति और खासकर पावर सेक्टर के लिए नीति में परिवर्तन की दरकार है।

हालांकि प्रदेश की उद्योग नीति में नेशनल सोलर मिशन के जरिये ऊर्जा क्षेत्र की समस्या के समाधान की पहल का जिक्र जरूर किया गया है। लेकिन राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में बिजली उत्पादन परियोजनाएं स्थापित करने की नीति निर्धारित नहीं की गई है। परिणाम वही। पूर्व में स्थापित खेदड़, पानीपत, यमुनानगर, झज्जर अथवा फरीदाबाद की इकाइयों का ही सहारा। इसमें भी कभी कोयला की किल्लत का संकट तो कभी मशीनी उपकरणों की समस्या। बेशक, मांग के अनुरूप उत्पादन के दावे किये जाते रहे हैं लेकिन इस सच्चाई से मुंह भी तो नहीं मोड़ा जा सकता कि प्रदेश में 10600 मेगावाट की स्थापित उत्पादन क्षमता के बावजूद उद्योगों के लिए सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

इन सच्चाइयों के आलोक में यही कहा जा सकता है कि पावर जेनरेशन में लागत ज्यादा आती है। इसके साथ ही मांग के अनुरूप वितरण प्रणाली की क्षमता बढ़ाने की दरकार है। राज्य सरकार के उद्योग मंत्री कैप्टन अभिमन्यु भी लाइन लॉस कम करने और बिजली की आपूर्ति के सिस्टम में सुधार की बात कर उद्योग व उद्योगपतियों को राहत का संकेत दे रहे हैं। बहरहाल, उद्योग को बुलंदी देने में सहायक बिजली पर ठोस नीति व उसके क्रियान्वयन की दरकार है।

.........

जहाजरानी मंत्री तक पहुंचा दैनिक जागरण का अमृत-कलश

दैनिक जागरण के सेमिनार में शहर के विकास से जुड़े मुद्दों पर हुए मंथन से निकला अमृत-कलश एकबार फिर केंद्र सरकार के आंगन जा पहुंचा है। देश के सबसे युवा सांसद दुष्यंत चौटाला ने केंद्र सरकार के जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर हिसार में शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) बनवाने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में सांसद ने कहा है कि हिसार न केवल काउंटर मैग्नेट एरिया का दर्जा रखता है अपितु यह दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का भी हिस्सा है। उन्होंने यहां व्यापार एवं उद्योग की अपार संभावनाओं का हवाला देते हुए कहा है कि यातायात सुविधाओं की कमी के कारण उद्योगपतियों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं जबकि देशभर में प्रसिद्ध स्टील उत्पादन कंपनियां है तो तीन विश्वविद्यालय व साथ लगते जिले भिवानी में देश की नामी-गिरामी कपड़ा उत्पादन फैक्टियिां भी हैं। इन तमाम तथ्यों को देखते हुए यहां ड्राई पोर्ट बनवाए जाएं।

..........

सिसकते साज को संभावनाओं का आधार

संवादसूत्र, बरवाला

राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट खेदड़ से नियमित रूप से बिजली का उत्पादन होने के कारण प्रदेश में बिजली की समस्या से निजात मिलने की संभावना है। खेदड़ थर्मल पावर प्लांट से वर्तमान में दोनों इकाइयों से बिजली उत्पादन पूरे लोड पर हो रहा है। 600-600 मेगावाट की खेदड़ थर्मल प्लांट में यह प्रदेश की सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करने वाली इकाई है। खेदड़ के अलावा झज्जर में भी इसी मेगावाट की दो इकाइयां हैं, लेकिन पानीपत, यमुनानगर व फरीदाबाद में छोटी इकाइयां हैं।

राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट खेदड़ में दोनों इकाइयों में से प्रथम इकाई लगातार तीस दिन से चल रही है। जबकि दूसरी इकाई से भी लगातार 10 दिन से बिजली उत्पादन हो रहा है। 10 दिन पूर्व दूसरी इकाई तकनीकी खामी के कारण 3-4 घंटे के लिए बंद हुई थी उसे फिर चालू कर दिया था। खेदड़ प्लांट जो कभी सिसक-सिसक कर उत्पादन करने में मशहूर था पर अब नियमित रूप से उत्पादन होने से एचपीजीसीएल के अधिकारी व इंजीनियर भी खुश हैं।

.........

नार्दन ग्रिड में जाती है बिजली -

खेदड़ थर्मल पावर प्लांट से बिजली नार्दन ग्रिड में जाती है दोनों इकाइयों में नियमित उत्पादन के बाद बिजली ग्रिड में जाने के बाद आगे सप्लाई दी जाती है।

........

पूरे लोड पर चल रही है दोनों इकाइयां : चीफ इंजीनियर :

राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट के चीफ इंजीनियर तरुण चौधरी ने बताया कि प्लांट में नियमित उत्पादन हो रहा है। दोनों यूनिट पूरे लोड पर चल रही हैं। कोयले की आपूर्ति नियमित होने के कारण वर्तमान में कोई समस्या उत्पादन में नहीं आ रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.