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खर्च में अव्वल, क्वालिटी में फिसड्डी

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 01:00 AM (IST)
खर्च में अव्वल, क्वालिटी में फिसड्डी

भूपेश मथुरिया, हिसार

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प्रदेश के सबसे खर्चीले विभागों में अव्वल शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन देने के मामले में फिसड्डी निकला। शिक्षा विभाग के सर्वे के मुताबिक क्वालिटी एजुकेशन देने में हरियाणा का अन्य राज्यों की तुलना में दसवां स्थान है, जबकि विद्यार्थियों में सुनने एवं सीखने के कौशल स्तर में हरियाणा का 15वें पायदान पर खड़ा है।

यही वजह है कि शिक्षा में गुणवत्ता एवं गुणात्मक सुधार न होने के कारण सरकारी स्कूल, निजी स्कूलों से पिछड़ते जा रहे हैं। शिक्षा विभाग की अपरिपक्व एवं दोहरी शिक्षा नीतियों के कारण विद्यार्थियों को निजी स्कूलों के मुकाबले सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। ऐसे में चाहे बात अनुभवी शिक्षकों की हो या फिर मूलभूत सुविधाओं की, करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद स्कूलों में शिक्षा का उत्थान तो दूर गुणवत्तापरक शिक्षा भी विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रही है।

बता दें कि शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन ने सीआरपी कार्यशाला के दौरान इन आंकड़ों पर चिंता जताई थी। उनके अनुसार सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को शिक्षा में गुणवत्ता देने व उनमें सुनने एवं सीखने के कौशल स्तर को बढ़ाने की दिशा में एकजुट होकर प्रयास करने की दिशा में कदम उठाने पर जोर दिया था। इसके लिए स्कूलों में क्लास रेडीनेस प्रोग्राम शुरू किया गया है, ताकि गर्त में जा रही शिक्षा का उत्थान हो सके और निजी स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को शिक्षा एवं सुविधा मुहैया करवा सके।

यह है एलएलएल

एलएलएल यानी लर्निग एवं लिसनिंग लेवल। सरकारी स्कूलों में इसकी कमी का खामियाजा शिक्षा पर पड़ रहा है। शिक्षक, विद्यार्थियों में सीखने और सुनने के कौशल को निखार पाने विफल साबित हो रहे हैं। ऐसा इसलिए कि शिक्षक भी इस कौशल की कमी से दो-चार हो रहे हैं। इसलिए शिक्षकों के लिए सीआरपी की तर्ज पर टीचर रेडीनेस प्रोग्राम शुरू किया जाएगा।

हम क्वालिटी एजुकेशन में पिछड़े हैं : वित्तायुक्त

वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन ने स्वीकार किया कि शिक्षा विभाग अन्य विभागों के मुकाबले ज्यादा खर्चीला है। बावजूद इसके सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन देने में अभी पिछड़े हुए हैं। इसके लिए प्रयासरत हैं।


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