मुस्लिम बुद्धिजीवियों व महिलाओं ने किया सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : मुस्लिम महिलाओं के लिए आतंक का पर्याय बने तीन तलाक को सुप्री
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : मुस्लिम महिलाओं के लिए आतंक का पर्याय बने तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इतिहास बना दिया। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले का मुस्लिम बुद्धिजीवियों व महिलाओं ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि इस निर्णय स्वागतयोग्य है। इससे महिला सशक्तीकरण में की दिशा में काफी मदद मिलेगी। वह हक और आत्मसम्मान के साथ अपना गुजारा कर सकेंगी।
निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर जो निर्णय दिया है, वह स्वागत योग्य है। आज देश की आठ से नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं को यातना भरी ¨जदगी के उस दौर से मुक्ति मिल जाएगी, जिससे वह वर्षों से पीड़ित थीं। उन्होंने कहा कि तीन तलाक अल्लाह का हुक्म नहीं था। यह एक बुराई थी, जिसका अंत देश की सर्वोच्च अदालत ने कर दिया है।
खुर्शीद रजाका, राष्ट्रीय संयोजक, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
वास्तव में वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बहुत खुश हूं। आज मुस्लिम महिलाओं को उनका हक मिल गया है। उन्हें परिवार और समाज में समानता का दर्जा मिला है। अब वह भी समानता के साथ परिवार में सर उठाकर जी सकती हैं। तीन तलाक एक बुराई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट से हमेशा-हमेशा लिए इतिहास बना दिया है। मुस्लिम महिलाओं के लिए यह खास दिन है।
रजिया, अधिवक्ता
यह एक सामाजिक बुराई थी, जो अदालत के फैसले से दूर हो जाएगी। अच्छी बात है कि मुस्लिम महिलाओं ने अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी।
कुलभूषण भारद्वाज, पूर्व अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन