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छात्रों के प्रयासों से बदली बदहाल पड़े पार्क की तस्वीर

हंसराज, नया गुरुग्राम कहा जाता है कि कुछ कर गुजरने का जज्बा व लगन हो तो रेगिस्तान में

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 06:24 PM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 06:24 PM (IST)
छात्रों के प्रयासों से बदली बदहाल पड़े पार्क की तस्वीर
छात्रों के प्रयासों से बदली बदहाल पड़े पार्क की तस्वीर

हंसराज, नया गुरुग्राम

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कहा जाता है कि कुछ कर गुजरने का जज्बा व लगन हो तो रेगिस्तान में भी फूल खिलाए जा सकते हैं। ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला है। जीडी गोइनका विश्वविद्यालय में वास्तुशिल्प (आर्किटेक्चर)की पढ़ाई करने वाले बीस छात्रों ने अपनी मेहनत और लगन से उपेक्षित पड़े पार्क का कायाकल्प कर दिया है। साउथ सिटी-एक स्थित कूड़ा स्थान में तब्दील हो चुके पार्क को विद्यार्थियों ने एक आकर्षक पार्क में बदल दिया है।

रंगों ने ली वीरानियों की जगह

पार्क की दीवारों पर बने खूबसूरत पें¨टग्स, पेड़ों के तने पर बनी कलाकृतियां, पेड़ों से टंगे रंगीन टायर वाले झूले देखकर आस-पास के लोग तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। वे कहते हैं कि बच्चों ने नर्क को स्वर्ग बना दिया है। इन छात्रों ने अपने प्रयासों से पहले पार्क की सफाई व इसकी लेव¨लग करवाई व फिर इसकी बाउंडरी को पेंट करके इसे जीवंत बना दिया।

लोगों को परेशानियां देख उठाया कदम

इसके पीछे के मकसद पर समूह के एक छात्र नमन ने बताया कि पार्क में कूड़ा-करकट, मकानों से निकला मलबा व कबाड़ भरा हुआ था। इस पार्क को लोगों ने मलबे व कूड़े का डंपिग केंद्र बना रखा था। पूरे दिन जानवरों का जमघट लगा रहता था जिससे गोबर, कूड़े व शौच आदि की बदबू से बुरा हाल था। बारिश के मौसम में यहां पानी जमा हो जाने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता था। जिससे आस-पास रहने वाले लोगो को बहुत कठिनाई हो रही थी।

बच्चों व बुजुर्गों के लिए हुई सुविधा

आरुषी जैन ने बताया कि यहां आस-पास कई झुग्गी बस्तियां है। जहां के बच्चों के खेलने के लिए यह एकमात्र पार्क है। पार्क के सभी झूले चकरी टूटे पड़े थे। उबड़-खाबड़ और पथरीली जगह होने के कारण बच्चे पार्क में नहीं खेल पाते थे। अब बच्चे यहां आते हैं और घंटों खेलते रहते हैं। उन्हें खेलते-कूदते देखकर बहुत इच्छा लगता है। साथ ही सुबह टहलने के शौकीन बुजुर्ग व युवा भी अब पार्क के तरफ रुख कर रहे हैं।

मिली स्थानीय निवासियों की सराहना

स्थानीय लोगों का कहना है कि पार्कों की हालत बदहाल होने के कारण इनमें कोई घूमने नहीं जाता था। लोगों के नहीं आने से यह ताश और जुआ खेलने वालों का अड्डा बन चुका था। यही नहीं, शराबी यहां बैठकर शराब भी पीते थे। निवासी प्रदीप कुमार के मुताबिक छात्रों की पूरी टीम अपने खर्च से पार्क के जीर्णोद्वार में लगी हुई है। पार्क की बदलती तस्वीर को देखते हुए एक निजी संस्थान ने अगले वर्ष जनवरी में प्रतियोगिता के लिए भी इस पार्क का चयन किया है।


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