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एजुचैंप: सरकारी कॉलेजों में संसाधनों को बढ़ाया जाना बेहद जरूरी : डा. दिवाकर

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम निजी कॉलेज जहां विद्यार्थियों की उच्चतर शिक्षा के लिए आगे आ रहे हैं वह

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 07:33 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 07:33 PM (IST)
एजुचैंप: सरकारी कॉलेजों में संसाधनों को बढ़ाया जाना बेहद जरूरी : डा. दिवाकर
एजुचैंप: सरकारी कॉलेजों में संसाधनों को बढ़ाया जाना बेहद जरूरी : डा. दिवाकर

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम

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निजी कॉलेज जहां विद्यार्थियों की उच्चतर शिक्षा के लिए आगे आ रहे हैं वहीं सरकारी कॉलेज उसी ढर्रे पर चल रहे हैं। संसाधनों की कमी से लेकर कोर्सों की कमी से विद्यार्थी बेहतर शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। इस पर क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में स्टारएक्स विवि के वीसी डा. अशोक दिवाकर ने कहा कि निजी विवि विद्यार्थियों की उच्चतर शिक्षा देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, इसी तरह सरकारी कॉलेजों को भी चाहिए कि जिले के विद्यार्थियों को रोजगारपरक कोर्स मुहैया करवाएं ताकि शहर की बेहतरीन प्रतिभाओं को तराशा जा सके।

डा. दिवाकर ने कहा कि कॉलेजों में प्रोफेशनल कोर्सों व पीजी कोर्सों की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। कालेजों में पारंपरिक कोर्स ही हैं और उनमें भी सीटों की संख्या पर्याप्त नहीं है। सरकार को लगता है कि कोर्सों को लागू करने के लिए संसाधनों का विकास करना होगा और वह हो नहीं पा रहा है, ऐसे में नए कोर्स लागू नहीं किए जा रहे हैं। कुछ कोर्सों को लागू करके देखा भी जा चुका है लेकिन संसाधनों के अभाव में उन्हें बंद कर दिया गया। ऐसे में कोर्सों में वेरायटी होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा संसाधनों के अभाव में जो कोर्स हैं वह भी सही नहीं हैं। कॉलेजों में प्राध्यापकों की भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। वर्षों से कॉलेजों में प्राध्यापकों की संख्या कम है जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है। पहले सरकार ने अतिथि प्राध्यापक लगाने की बात की और फिर उसे बंद कर दिया। बाद में एक्सटेंशन लेक्चरर के तौर पर कालेजों को अपने स्तर पर भर्तियां करने को कहा, लेकिन विभिन्न विषयों में एक्सटेंशन लेक्चरर भी नहीं मिल पा रहे हैं, ऐसे में कॉलेजों में पढ़ाई बाधित हो रही है।

उन्होंने कहा कि शहर के कॉलेजों में हॉस्टलों की संख्या और उनमें सीटें बढ़ाई जानी चाहिए। कॉलेजों में विभिन्न विषयों में सीटें बढ़ाई जानी चाहिए। हमेशा से यही देखने को मिला कि प्रतिभावान छात्रा आगे उच्चतर शिक्षा ग्रहण करना चाहती हैं और उसे यहां के कॉलेजों में उसके अनुरूप कोर्स नहीं मिलता तो वह पढ़ाई छोड़ देती है। सीटें सीमित होने के कारण हर वर्ष सैकड़ों लड़कियां उच्चतर शिक्षा से वंचित रह जाती हैं। ऐसे में कालेजों में कोर्स व सीटें दोनों बढ़ाकर संसाधनों का विकास करना होगा ताकि इन छात्राओं को आगे की शिक्षा मिल सके। शहर के कॉलेजों से 'ब्रेन ड्रेन' प्रतिभा का पलायन पिछले कुछ वर्षो से तेजी से हो रहा है, इसे रोकने के लिए सरकार के उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बदलाव करने होंगे। जैसे संसाधनों का विकास किया जाए व नए ट्रेड के कोर्स लागू किए जाएं।


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