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राजनीति में आना चाहते हैं एनसीआर के द्वितीय टॉपर शिवांग

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : प्रतिस्पर्धा के इस युग में प्रतिभावान विद्यार्थी जहां अच्छी शिक्षा ग

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 May 2017 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 29 May 2017 08:10 PM (IST)
राजनीति में आना चाहते हैं एनसीआर के द्वितीय टॉपर शिवांग
राजनीति में आना चाहते हैं एनसीआर के द्वितीय टॉपर शिवांग

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : प्रतिस्पर्धा के इस युग में प्रतिभावान विद्यार्थी जहां अच्छी शिक्षा ग्रहण कर मेडिकल, इंजीनिय¨रग व मैनेजमेंट के क्षेत्र में जाने की होड़ में हैं वहीं एनसीआर में दूसरे स्थान पर रहे आइसीएसई बोर्ड के बारहवीं कक्षा के छात्र शिवांग राजनीति में जाकर देश की दिशा व दशा बदलना चाहते हैं। स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल के छात्र शिवांग का मानना है कि भारत को विश्व भर में मजबूत युवा शक्ति के रूप में माना जाता है तो क्यों न युवा राजनीति में आकर देश की प्रगति में भागीदार बनें। 98.75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले शिवांग फिलहाल डीयू से इकोनॉमिक्स आनर्स में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं।

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बिना तनाव लिए की पढ़ाई

शिवांग के मुताबिक तनाव में पढ़ाई करने से आधी दक्षता वैसे ही खत्म हो जाती है और मन में हमेशा डर बैठा रहता है ऐसे में उन्होंने खेल खेल में पढ़ाई की। क्लास में मन लगाना व नियमित अध्ययन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया था। इसके अलावा वे स्पो‌र्ट्स गतिविधियों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे। इसके अलावा वे मॉडल यूनाइटेड नेशंस व यूथ पार्लियामेंट जैसी राष्ट्र स्तरीय गतिविधियों में सक्रियता से हिस्सा लेते थे। उनके मुताबिक इन गतिविधियों ने उन्हें पढ़ाई में काफी मदद की है।

'राजनीति में युवा प्रतिभाओं की जरूरत'

शिवांग के मुताबिक हर क्षेत्र में देश की युवा प्रतिभाएं विश्वभर में अपनी पहचान बना रही हैं तो देश की राजनीति इनसे अछूती क्यों रहे। उ्रके मुताबिक देश को पढ़े लिखे युवा नेताओं की जरूरत है। वे अपने प्रतिभावान दोस्तों को भी इस दिशा में जाने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने बताया कि उनका पसंदीदा विषय साइंस रहा है लेकिन राजनीति में जाने की चाह में उन्होंने पीसीएम के साथ इकोनॉमिक्स को भी बतौर सब्जेक्ट लिया।

परिवार के सहयोग से मिली सफलता

अपनी इस सफलता को पूरी तरह से परिवार व शिक्षकों की देन मानते हैं। उनके मुताबिक जिस स्तर का सपोर्ट एक सुकूनभरा वातावरण देता है, वह स्कूल व घर से मिला है। उनपर किसी तरह की उम्मीदों का बोझ न तो स्कूल ने लादा और न ही घर वालों ने। इसके अलावा वे इसका श्रेय अपने छोटे भाई श्रेयांश ¨सह को देते हैं क्योंकि उसने शिवांग से न तो कभी कोई जिद की और न ही उन्हें परेशान किया।


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