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मानव जीवन का सार है गीता

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम :प्रसिद्ध ¨चतक व विचारक कृष्ण मुरारी ने कहा गीता मानव जीवन का सार है।

By Edited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 06:41 PM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 06:41 PM (IST)
मानव जीवन का सार है गीता

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम :प्रसिद्ध ¨चतक व विचारक कृष्ण मुरारी ने कहा गीता मानव जीवन का सार है। उदय प्रतिकूल परिस्थितियों में हुआ पर गीता हमें सिखाती है मानव अपना जीवन किस तरह से जिए। जिस व्यक्ति ने गीता संदेश को अपने जीवन में अपना लिया, वह कभी भी समाज में पीछे नहीं रह सकता है।

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गीता हमें कर्मयोगी बनने की सीख देती है। जो कर्म करेगा, वही आगे बढ़ेगा। झूठ और मिथ्या के सहारे कोई शख्स अधिक दिन नहीं दौड़ पाता है। कृष्ण मुरारी शुक्रवार को कमला नेहरू पार्क के सेवा सदन में दैनिक जागरण व सामाजिक संगठन मानव आवाज संस्था की ओर से आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि गीता एक आत्मदर्शन है। यह हमें मन के अंदर चल रहे द्वंद से निकलने की राह दिखाती है। लोग गीता के महत्व को समझें और संयमित जीवन जीते हुए कर्म फल की चाहत ना करें।

उद्योगपति जेएन मंगला ने कहा कि गीता के उपदेश हमें सफल होने का संदेश देते हैं। बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना था कि गीता में जीवन का सार है, पढ़ने पर इसे समझा की श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को कुछ उपदेश दिए थे, जिससे उस युद्ध को जीतना पार्थ के लिए आसान हो गया। यहां दिए गए गीता के कुछ उपदेशों को अपने ¨जदगी में शामिल करके आप भी अपने लक्ष्य को पाने में सक्षम होंगे। साहित्यकार व वरिष्ठ पत्रकार महेश बंसल ने कहा गीता हमें लोभ, पद व परिवार मोह से परे हटकर मानव जीवन के कल्याण के लिए कार्य करने का संदेश देती है। युवा अगर अपने जीवन में इन बातों को अपना लें तो समाज नई दिशा की ओर बढ़ जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता व जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज ने कहा गीता से हमें यह संदेश मिलता है कि जो कुछ भी आज तुम्हारा है, कल किसी और का था और परसों किसी और का हो जाएगा। इसलिए माया के चकाचौंध में मत पड़ो। माया ही सारे दु:ख, दर्द का मूल कारण है। नैतिकता अराजकता आज के युग में बड़ा खतरा है। हमें भगवान श्री कृष्ण के इस संदेश पर जोर देना है कि कुछ भी आज तुम्हारा है, कल किसी और का था और परसों किसी और का हो जाएगा। इसलिए माया के चकाचौंध में मत पड़ो। माया ही सारे दु:ख, दर्द का मूल कारण है। हमें नेकी की राह पर चलने की आदत डालनी चाहिए। मानव आवाज संस्था संयोजक अभय जैन, आरके अग्रवाल, मदन लाहौरिया, डॉ. मनोज तिवारी, पीसी जैन, नवीन गोयल, समता ¨सगला, वैशाली जैन, सोनू यादव, प्रवीण शर्मा ने भी अपने विचार रखे।


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