गांव भूड़का में 10 गलियां कच्ची, परेशान हो रहे लोग
सैनिकों के गांव के नाम से मशहूर गांव भूड़का के लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं होने के कारण परेशान हो
सैनिकों के गांव के नाम से मशहूर गांव भूड़का के लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं होने के कारण परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार तो गांवों के विकास के लिए अनेकों योजनाएं ला रही है। पंचायत प्रतिनिधियों की ट्रे¨नग पर भी लाखों रुपये खर्च कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर अनेकों कमियों को दूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। गांव भूड़का में भी ऐसे ही अनेकों कमियां और समस्याएं हैं। गांव में काफी समय पहले बनाई गई हरिजन चौपाल पूरी तरह टूट चुकी है, इससे कई बार टुकड़े भी गिर चुके हैं। गांव के स्कूल में भी पीने के पानी के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है। गांव में पिछले कई सालों से तालाब की सफाई नहीं हो पाई है। ग्रामीणों ने तालाब की सफाई के लिए कई बार प्रयास किए हैं लेकिन सफलता नहीं मिली। गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाले रास्तों को भी पक्का नहीं किया गया है। गांव के अंदर भी लगभग गलियां कच्ची हैं। गांव में केवल पांचवीं कक्षा तक ही स्कूल है। इसके बाद गांव के बच्चों को अन्य निजी स्कूलों में पढ़ाई करने जाना पड़ता है। बिजली के तारों को भी काफी समय से नहीं बदला गया है। फौजियों का गांव होने के बाद गांव में खेल के अभ्यास के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।
कॉलेज जाने वालों को परेशानी
गांव के सैकड़ों बच्चे रोजाना गुरुग्राम और सिधरावली के कॉलेजों में पढ़ाई करने जाते हैं लेकिन गांव से गुरुग्राम और सिधरावली तक जाने के लिए कोई बस सुविधा नहीं दी गई है। बच्चों को अपने वाहन और अन्य तरीके से कॉलेजों में जाना पड़ता है। गुरुग्राम जाने तक के लिए गांव के लोगों को पहले ऑटो से बिलासपुर चौक पर जाना पड़ता है, इसके बाद धारूहेड़ा से आने वाली बसों से गुरुग्राम जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने गांव से गुरुग्राम तक बस सुविधा की मांग की है।
गांव को दूसरे गांवों से जोड़ने वाले रास्तों को भी कच्चा छोड़ा गया है। गांव से बाहर जाने के लिए लोगों का परेशान होना पड़ रहा है। लोगों को शहर जाने के लिए धूल भरे कच्चे रास्तों से गुजरना पड़ता है।
- फूला देवी।
गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए शहर जाना पड़ता है लेकिन सुविधाएं नहीं होने के कारण बच्चों को अपने वाहन का प्रयोग करना पड़ रहा है। गांव से शहर जाने के लिए बस सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
- कृष्ण।
गांव में लगभग घरों से युवा फौज में देश की सेवा कर रहे हैं लेकिन गांव में कोई भी खेल स्टेडियम नहीं बनाया गया है। सुबह और शाम के समय गांव के काफी युवा सड़कों पर दौड़ का अभ्यास कर रहे हैं।
- मिथलेश।
गांव में बनीं चौपालों की काफी समय से मरम्मत नहीं हुई है, जिस कारण गांव के लोगों को अब पंचायत करने के लिए खुले में ही बैठना पड़ रहा है। चौपालों में कई बार तो छतों से टुकड़े भी गिर चुके हैं।
- पुष्पा।
गांव में पिछले कई सालों से बिजली के पुराने तारों को नहीं बदला गया है। रोजाना इन तारों में फंसने से पक्षियों की मौत हो रही है। गांव के लोगों को भी बिजली के तारों से परेशान होना पड़ रहा है। बरसात के दिनों में तो कई बार तार टूट जाते हैं।
- सत्यनारायण।
ग्रामीणों की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। जल्द ही गांव के लोगों की सभी समस्याओं को दूर कर दिया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों की भी सहायता ली जा रही है।
- इंद्रजीत नेहरा, सरपंच, गांव भूड़का।
गांव की खासियत
गुरुग्राम मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर गांव भूड़का को आसपास सैनिकों के गांव से भी जाना जाता है। इसका मुख्य कारण है कि गांव के लगभग हर घर से एक दो लोग सेना में हैं। गांव में करीब 2000 लोग आपसी भाइचारे के साथ रहते हैं। गांव बिलासपुर चौक से करीब दो किलोमीटर अंदर स्थित है।
प्रस्तुति : गोविन्द फलस्वाल।