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बाजरा बेचने के लिए किसानों को लानी होगी गिरदावरी की असल नकल

संवाद सहयोगी, पटौदी : हेलीमंडी अनाजमंडी में शीघ्र ही बाजरा की खरीद शुरू की जाएगी। बाजरा लाते समय किस

By Edited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 08:43 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 08:43 PM (IST)
बाजरा बेचने के लिए किसानों को लानी होगी गिरदावरी की असल नकल

संवाद सहयोगी, पटौदी : हेलीमंडी अनाजमंडी में शीघ्र ही बाजरा की खरीद शुरू की जाएगी। बाजरा लाते समय किसानों को फर्द एवं गिरदावरी की असल नकल लानी होगी। हेलीमंडी अनाजमंडी में बाजरा की खरीद हरियाणा वेयर हाउस कारपोरेशन करेगा।

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उक्त जानकारी देते हुए मार्केट कमेटी के सचिव नरेंद्र यादव ने बताया कि सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार किसानों से उनकी उपज का आधा बाजरा ही खरीदा जाएगा। किसानों को बाजरा बेचने आते समय अपनी फर्द एवं गिरदावरी की असल रपट लानी होगी। बाजरा केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों के अनुरूप ही खरीदा जाएगा। उनके अनुसार किसानों से खरीदी गई फसल का भुगतान अकाउंट में, चेक द्वारा ही किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने इस वर्ष बाजरा का समर्थन मूल्य 1330 रुपये क्विंटल तय किया है।

इन मंडियों में सरकार खरीदेगी बाजरा

प्रदेश सरकार ने इस बार 15 जिलों की 28 मंडियों में बाजरा की खरीद करने का निर्णय लिया है। इनमें गुडगांव जिले की हेलीमंडी तथा फरुखनगर, मेवात जिले की तावड़ू तथा नूंह, फरीदाबाद जिले की बल्लबगढ़ तथा तिगांव, पलवल जिले की पलवल, रेवाड़ी जिले की कोसली तथा रेवाड़ी, नारनोल जिले की नारनौल तथा अटेली, झज्जर जिले की मातनहेल, झज्जर एवं ढ़ाकला, भिवानी जिले की चरखी दादरी, लोहारू, तोशाम, डिघावा तथा भिवानी, कैथल जिले की कलायत, रोहतक जिले की महम, हिसार जिले की बास तथा हिसार, जींद जिले की उचाना तथा जुलाना, सोनीपत की खरखोदा, सिरसा जिले की नाथूसारी चोपता एवं फतेहाबाद जिले की फतेहाबाद अनाजमंडी शामिल हैं।

बाजरा की खरीद में तय नियम किसान के साथ मजाक : मा. ओम ¨सह

प्रदेश सरकार ने चाहे बाजरे की खरीद करने का निर्णय लिया है परंतु किसान संगठन इसको लेकर तय किए गए नियमों को किसानों के साथ मजाक मान रहे हैं। भारतीय किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष मा. ओम ¨सह के अनुसार सरकार की एक अक्टूबर से बाजरा की खरीद करने की योजना है, लेकिन दक्षिणी हरियाणा में बाजरा कब का मंडियों में आ चुका है। उनके अनुसार उन्होंने सरकार को 15 सितंबर से बाजरा की खरीद करने का सुझाव दिया था। आज तक बाजरे की खरीद शुरू नहीं की गई। अब हालत यह है कि 80 प्रतिशत किसान अपनी उपज को निजी हाथों आने पाने दामों में बेच चुके हैं। बाजरा की आधी उपज खरीदने का निर्णय, प्रति एकड़ केवल 8 क्विंटल पैदावार मानना तथा बाजरा बेचने आने से पूर्व तहसील कार्यालय से लाइन में लगकर पहले गिरदावरी की नकल निकलवाना, किसानों को उत्पीड़ित करने तथा उनसे भद्दा मजाक करने के समान है। बाजरे की उपज प्रति एकड़ 16 क्विंटल तक होती है। सरकार इसका आठ क्विंटल ही मान रही है। यही नहीं सरकार उसमें से भी आधा अर्थात प्रति एकड़ चार क्विंटल ही खरीदने की ही बात कर रही है। इस चार क्विंटल को बचने के लिए भी सरकार किसानों को गिरदावरी की असल रपट साथ तथा लाने की शर्त लगा रही है।


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