Move to Jagran APP

प्रशिक्षक बताएं हॉकी एस्ट्रोटर्फ कितनी जायज?

अनिल भारद्वाज, गुड़गांव हॉकी खिलाड़ियों के लिए दस से बारह करोड़ रुपये खर्च कर हॉकी एस्ट्रोटर्फ लगाने

By Edited By: Published: Sat, 24 Sep 2016 09:30 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2016 09:30 PM (IST)
प्रशिक्षक बताएं हॉकी एस्ट्रोटर्फ कितनी जायज?

अनिल भारद्वाज, गुड़गांव

loksabha election banner

हॉकी खिलाड़ियों के लिए दस से बारह करोड़ रुपये खर्च कर हॉकी एस्ट्रोटर्फ लगाने की की मांग चल रही है, लेकिन हॉकी में लगातार गिरते प्रदर्शन को देखकर नहीं लगता कि हॉकी एस्ट्रोटर्फ पर रुपया खर्च करने की जरूरत है। लड़कों की प्रतियोगिता में गुड़गांव हॉकी टीम शिरकत नहीं कर पा रही है। हरियाणा टीम में जगह भी नहीं बना पा रही है। अंडर 14, अंडर 17, अंडर 19 की जिला टीमें बनाने के लिए खिलाड़ी नहीं हैं। अगर कभीकभार टीम बन भी जाती है, तो एक-दो मैच जीतने में भी सक्षम नहीं होती है। हॉकी सेंटर के यह हालात उन प्रशिक्षकों के कारण हुए हैं, जिनके कागजी सेंटर चल रहे हैं।

प्रदेश का पहला हॉकी एस्ट्रोटर्फ बना

पूर्व हॉकी प्रशिक्षक फूल कुमार की बदौलत गुड़गांव हॉकी ने ऊंचाइयों को छूआ। गुड़गांव की हॉकी टीम प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ टीमों में शामिल रही। इसी कारण 2003 में ओम प्रकाश चौटाला सरकार ने 8 करोड़ रुपये खर्च कर प्रदेश का पहला हॉकी एस्ट्रोटर्फ लगाया। हालांकि आज हॉकी एस्ट्रोटर्फ की स्थिति खराब है। नया लगाए जाने की जरुरत है, लेकिन खेल विभाग के प्रशिक्षकों को ऐसे ही रवैया रखना है, तो करोड़ों खर्च क्यों किए जाएं।

हॉकी हॉस्टल नहीं होने का बहाना

प्रशिक्षकों का कहना रहता है कि गुड़गांव से हॉकी हॉस्टल समाप्त कर दिया गया, लेकिन विभाग ने हॉकी हास्टल तब समाप्त किया है, जब कई वर्ष तक कोई पदक नहीं मिला और सरकार का लाखों रुपये खर्च हो रहा था। जब हॉस्टल चलता था जब भी प्रशिक्षक काम नहीं करते थे। इसका सबूत विभाग का रिकार्ड को देखकर मिलता है। जब विभाग के उच्च अधिकारियों को द्वारा सेंटर जांच की तो प्रशिक्षक गायब मिले हैं।

क्या दूसरे जिला में हॉस्टल हैं

प्रशिक्षकों से यह पूछने वाला होना चाहिए कि प्रदेश जो टीमें टॉप पर हैं, क्या वहां हॉकी हॉस्टल है। रेवाड़ी, मेवात, नारनौल, झज्जर जिला की टीम बेहतर कर रही हैं, वहां पर हॉकी एस्ट्रोटर्फ नहीं है।

गांव में क्यों नहीं चलाए सेंटर

प्रशिक्षकों की शिकायत रहती है कि नेहरू स्टेडियम में खिलाड़ी नहीं पहुंच रहे हैं, तो फिर हॉकी सेंटर राजीव गांधी खेल स्टेडियम या सरकारी स्कूलों पास के गांव में क्यों नहीं शुरू किए गए। अगर वहां पर हॉकी सेंटर बनाए गए होते, तो आज खिलाड़ियों की कमी नहीं रहती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.