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प्रदेश में दूर होगा बसों का टोटा

संदीप रतन, गुड़गांव प्रदेश में जल्द ही बसों की कमी दूर होने की उम्मीद है। गुड़गांव स्थित हरियाणा

By Edited By: Published: Fri, 26 Aug 2016 01:05 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2016 01:05 AM (IST)
प्रदेश में दूर होगा बसों का टोटा

संदीप रतन, गुड़गांव

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प्रदेश में जल्द ही बसों की कमी दूर होने की उम्मीद है। गुड़गांव स्थित हरियाणा रोडवेज इंजीनिय¨रग कॉरपोरेशन (एचआरईसी) को रोडवेज की तीन सौ नई बसें बनाने का प्रस्ताव मिलने वाला है। हाल ही में चंडीगढ़ मुख्यालय पर हुई रोडवेज अधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया है। एचआरईसी के अधिकारियों के मुताबिक मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद बसें बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।

बता दें कि गुड़गांव स्थित एचआरईसी में पूरे प्रदेश की बसों की बॉडी तैयार की जाती है। इसके अलावा अन्य राज्यों से भी बसें तैयार करने के प्रस्ताव एचआईसी को मिलते हैं। 2015 में एचआईसी ने पंजाब रोडवेज की बसों की बॉडी तैयार की थी।

सभी डिपो में है बसों की कमी

प्रदेश में 24 बस डिपो हैं, और सभी डिपो में कुल 4250 बसें हैं। फिलहाल हर डिपो में करीब 10 से 15 बसों की कमी है। जिसके चलते प्रत्येक डिपो के रूट गड़बड़ा रहे हैं। कई डिपो में तो बसें अपने निर्धारित किलोमीटर को पूरा कर चुकी हैं, लेकिन नई बसें नहीं मिलने के कारण इन पुरानी बसों को भी मजबूरन रूटों पर भेजा जा रहा है। ऐसे में तीन सौ नई बसों के आने से बसों की कमी कुछ हद तक पूरी हो जाएगी। गुड़गांव में भी कुल 237 बसें हैं, लेकिन 160 बसें ही संचालित की जा रही हैं। मरम्मत आदि कार्यों के लिए 60 से ज्यादा बसें वर्कशॉप में खड़ी रहती हैं।

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घाटे से उभरने के लिए संसाधनों की जरूरत

रोडवेज को घाटे से उभारने के लिए संसाधनों की जरूरत है। प्रत्येक डिपो को नई बसों के साथ-साथ मैनपॉवर भी देने की जरूरत है। ड्राइवर-कंडक्टरों की भर्ती करने के साथ-साथ रोडवेज वर्कशॉप में टेक्निकल स्टाफ भी नियुक्त करने की जरूरत है। वर्कशॉप में स्टाफ की कमी के चलते बसों की मरम्मत भी समय पर नहीं हो पा रही है। जिसके कारण रोडवेज डिपो के रूट प्रभावित हो रहे हैं। रोडवेज के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 1994 के बाद वर्कशॉप में स्थाई नियुक्तियां नहीं की गई हैं। पुराना स्टाफ सेवानिवृत्त हो चुका है।

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मुख्यालय स्तर पर रोडवेज की तीन सौ नई बसें तैयार करने का निर्णय लिया गया है। नई बसों के बनने के बाद बसों की कमी दूर हो जाएगी।

वीके दत्ता, मैनेजर, एचआरईसी गुड़गांव।


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