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हड़ताल से सैकड़ों करोड़ का कारोबार प्रभावित

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : बैंकों की हड़ताल से जिले में शुक्रवार को सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार प्रभ

By Edited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 01:03 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 01:03 AM (IST)
हड़ताल से सैकड़ों करोड़ का कारोबार प्रभावित

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : बैंकों की हड़ताल से जिले में शुक्रवार को सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित रहा। न बैंकों में कैस जमा हो पाया और न ही चेक क्लीयर हो पाए।

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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उसके सहयोगी बैंकों के विलय के खिलाफ सभी बैंकों में काम पूरी तरह ठप रहा। सहयोगी बैंकों के कर्मचारियों का मानना है कि विलय से मूल बैंक के कर्मचारियों के बाद सहयोगी बैंकों के कर्मचारियों का नंबर आता है यानी दूसरे दर्जे का कर्मचारी बनना पड़ता है। पहले मूल बैंक के कर्मचारियों या अधिकारियों का प्रमोशन होगा फिर सहयोगी बैंकों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों का। कई प्रकार की सुविधाएं भी खत्म हो जाती हैं।

बैंकों में पसरा रहा सन्नाटा

हड़ताल की वजह से बैंकों में सन्नाटा पसरा रहा। लोग आए लेकिन लौटकर चले गए। सेक्टर 15 निवासी राजेश तलवार ने बताया कि बैंकों की हड़ताल नहीं होनी चाहिए। इससे देश का विकास रुक जाता है। आगे शनिवार एवं रविवार है। इसका तो कम से कम ध्यान रखा जाता। अक्सर ऐसा देखा गया है कि हड़ताल शुक्रवार या सोमवार को या फिर ऐसे दिन रखी जाती है जिसका व्यापक असर पड़े। यह सोच ठीक नहीं है।

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''पहले घर में काफी राशि लोग रखते थे। अब कोई घर में रुपये नहीं रखता है। यही वजह है कि बैंकों के ऊपर निर्भरता काफी बढ़ गई है। एक दिन की हड़ताल भी विकास पर भारी पड़ जाती है। बैंकों का विलय को लेकर जो भ्रांतियां कर्मचारियों के भीतर है, उन्हें दूर करने का प्रयास होना चाहिए।

- आरएम चौधरी, सेवानिवृत्त सहायक महाप्रबंधक, एसबीआइ।

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निश्चित रूप से बैंकों में हड़ताल का व्यापक असर होता है। गुड़गांव जैसे शहर में कुछ अधिक ही असर होता है। यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार होता है। जब सभी संगठन मिलकर हड़ताल की घोषणा करते हैं फिर इसे मानना सभी के लिए आवश्यक हो जाता है। यही वजह है कि इस बार हड़ताल का व्यापक असर रहा।

- डॉ. राजेश भोला, वरिष्ठ प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा।


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