शिवालय - 1008 बाबा रतनदास शिव मंदिर कादीपुर
शिव भक्ति से गूंज रहा है बाबा कादीपुर स्थित बाबा रतन दास मंदिर का शिवालय। कादीपुर गांव सेक्टर 10,
शिव भक्ति से गूंज रहा है बाबा कादीपुर स्थित बाबा रतन दास मंदिर का शिवालय। कादीपुर गांव सेक्टर 10, पटौदी रोड आदि के निवासियों के लिए सावन के महीने में कादीपुर स्थित 1008 बाबा रतनदास मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर के बाहर करीब 71 फुट ऊंची शिव की प्रतिमा दूर से नजर आती है। मंदिर से सटा एक पुराना जोहड़ है। इस जोहड़ के साथ भी पुरानी कई परंपराएं जुड़ी हैं। गांव के लोग बताते हैं कि हर अवसर पर कादीपुर के लोग इस मंदिर में पूजा करने आते रहे हैं।
मंदिर का इतिहास
बताया जाता है कि वर्ष 1857 में इस मंदिर को बनवाया गया था। मंदिर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का साक्षी रहा है। मंदिर में एक साधु बाबा रतन दास रहा करते थे। उन्होंने मंदिर बनवाया था। मंदिर के पास तालाब हुआ करता था। वह जोहड़ अभी भी है। मंदिर परिसर में जब भी कोई बड़ा कार्यक्रम होता है, काफी संख्या में साधु संत यहां जुटते हैं। ग्रामीण बताते हैं मंदिर के तालाब की मिट्टी बहुत पवित्र मानी जाती थी। गांव के लोगों को इस मंदिर को लेकर बहुत विश्वास रहा है। कादीपुर और आस-पास के लोगों में पीढ़ी दर पीढ़ी यह मान्यता रही है कि मंदिर में पूजा करने से हर मन्नत पूरी होती है। शिवरात्रि को मंदिर के पास आज भी मेला लगता है। पड़ोस में सेक्टर 10, सेक्टर 10 ए, पटौदी रोड की कॉलोनियां आदि बसने के कारण मंदिर और मेले में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है।
मंदिर की विशेषता
पुराने मंदिर का अब सौंदर्यीकरण हो गया है। मंदिर में शिवालय के अलावा मां दुर्गा का मंदिर, हनुमान मंदिर, शनिदेव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, खाटू श्याम मंदिर आदि बनाए गए हैं। कादीपुर गांव के लोगों ने मंदिर एक बड़ा गेट बनवाया है, यह गेट सेक्टर 10 को कादीपुर से विभक्त करता है। चार साल पहले शंकर भगवान की ऊंची मूर्ति यहां स्थापित की गई थी।
ऐसे पहुंचे मंदिर
गुड़गांव बस स्टैंड, मेट्रो स्टेशन या रेलवे स्टेशन से पटौदी की ओर जाने वाली बस, ऑटो से यहां पहुंचा जा सकता है। गुड़गांव पटौदी रोड पर सेक्टर 10 के पास मुख्य सड़क से ही मंदिर का गेट दिखता है।
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मंदिर के साथ गुड़गांव के लोगों की आस्था और विश्वास जुड़ा है। विभिन्न धार्मिक आयोजनों में काफी संख्या में लोगों की भागीदारी होती है। साधु संतों के प्रवचन लोगों की पूजा अर्चना से यह धरती भक्तिमय हुई है।
- महंथ सेवा दास, पुजारी बाबा रतनदास मंदिर।
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बचपन से हमलोग मंदिर के कार्यक्रमों से जुड़े रहे हैं। घर में कोई भी शुभ काम होता है तो लोग पहले इस मंदिर में आते हैं। शिवरात्रि के मेले की पुरानी परंपरा को नए लोगों ने भी जीवंत रखा है। हमारी पीढि़यों ने इस मंदिर के प्रति श्रद्धा रखी है।
- ब्रह्मा यादव, समाजसेवी।