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पॉश कालोनियों के ट्रांसफर के आदेश अधर में लटके

गौरव सिंगला, न्यू गुड़गाव : डीएलएफ, सुशातलोक और पालम विहार कॉलोनी को निगम में ट्रांसफर करने के आदे

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 10:01 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 10:01 PM (IST)
पॉश कालोनियों के ट्रांसफर के आदेश अधर में लटके

गौरव सिंगला, न्यू गुड़गाव : डीएलएफ, सुशातलोक और पालम विहार कॉलोनी को निगम में ट्रांसफर करने के आदेशों को 6 महीने पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन निगम अभी तक इन कॉलोनियों को अपने अधीन लेने की रणनीति पर निर्णय नहीं ले पा रहा है। इस कारण कॉलोनियों का अस्तित्व भी अधर में लटका हुआ है, जिसका प्रभाव सीधा कॉलोनियों के विकास पर पड़ना शुरू हो गया है। गौरतलब है कि 8 फरवरी 2016 को नगर योजनाकार विभाग ने तीनों कॉलोनियों को एक महीने के भीतर निगम के अधीन करने का आदेश दिया था। लेकिन 6 महीने बाद भी नगर निगम अपनी नीति साफ नहीं कर पाया है। पिछले छ: महीने से ट्रांसफर की असमंजस में फंसीं पॉश कालोनियों में रख-रखाव की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। पिछले तीन दशकों से बिल्डर यहा अपना कब्जा जमाए हुए बैठे हैं। कालोनाइजर रेजीडेटों से रख-रखाव शुल्क की वसूली करने के बाद भी उन्हे पर्याप्त मात्रा में सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। आलम यह है कि लोगों ने नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स भी देना शुरू कर दिया और बिल्डर से रख-रखाव शुल्क का भी पीछा नहीं छूटा और सुविधाओं की जिम्मेवारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है।

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''सुशात लोक पॉश इलाका है लेकिन आज इसकी हालत स्लम कालोनी से भी बदतर होती जा रही है। सड़कों में 1-1 फु ट के गड्ढे हो गए हैं, बरसात के समय में जगह-जगह जलभराव की समस्या। सबसे बड़ी दिक्कत पेयजल की है। हर दूसरे दिन हुडा बिल्डर द्वारा पानी शुल्क की अदायगी न करने पर भूमिगत टैंकों का कनेक्शन काट देता है। लोगों को पेयजल की समस्या का लगातार सामना करना पड़ रहा है, यही हाल बिजली व्यवस्था का है।

-शिव शकर राय, निवासी सुशात लोक।

''डीएलएफ इलाके में रख-रखाव का ग्राफ दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। सड़कों की मरम्मत पिछले दो दशकों से नहीं हुई है। पार्को की हालत भी खराब है। आए दिन स्ट्रीट लाइटों के लिए भी बिल्डर से लड़ना-झगड़ना पड़ता है। ''

-धु्रव बंसल, निवासी डीएलएफ फेज एक।

''हाल ही में बरसाती नालों की सफाई न होने के कारण इलाके में घुटने-घुटते तक पानी भर गया था, नगर नगर आयुक्त को शिकायत की तो उन्होंने साफ कह दिया कि मेंटिनेंस शुल्क डीएलएफ को देते है मुझे नहीं।''

-सुरेश कुमार, निवासी डीएलएफ फेज 3।


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