बीएफआइ के चुनाव में जानबूझ कर देरी का आरोप
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : भारत में नवगठित बाक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआइ) के चुनाव को लेकर प
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : भारत में नवगठित बाक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआइ) के चुनाव को लेकर पूर्व दिग्गज मुक्केबाजों को आपत्ति है। उनका कहना है कि चुनाव में जानबूझ कर देरी की जा रही है। अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पूर्व मुक्केबाज कविता चहल का कहना है कि 16 अप्रैल को सबकी सहमती बनी थी तो केंद्र सरकार से उसी समय एनओसी लेकर अंतरराष्ट्रीय बाक्सिंग संघ के पास क्यों नहीं भेजी गई। इनका आरोप है कि एडहाक कमेटी के लोगों ने केंद्र सरकार से जानबूझ कर देरी से एनओसी ली है। जबकि केंद्र सरकार जल्द चुनाव कराना चाहती है।
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19 मई से लड़कियों के ट्रायल हैं और यह अंतिम ट्रायल है। जब टीम के साथ बीएफआइ नहीं होगी तो भेदभाव होगा और ऐसे में रियो में भारत का प्रतिनिधित्व कम रह सकता है।
-कविता चहल, पूर्व बाक्सर, अर्जुन अवार्डी।
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16 अप्रैल व 14 मई में अच्छा खासा समय था। एनओसी लेने में देरी क्यों की गई? अब क्या गारंटी है कि अंतरराष्ट्रीय बाक्सिंग संघ हमें 14 मई की डेड लाइन का बढ़ाएगा। कुछ लोगों के कारण भारत रियो से वंचित रह सकता है।
-जस लाल प्रधान, पूर्व बाक्सर अर्जुन अवार्डी।
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बाक्सिंग परिवार को एक मंच पर लाने में केंद्र सरकार की भूमिका रही है। जाहिर है कि केंद्र जल्द निपटारा चाहता है। लेकिन एनओसी लेने में देरी की गई। चुनाव 14 मई से हर हाल में कराने का प्लान होना चाहिए था।
-पद्म बहादुर, पूर्व बाक्सर अर्जुन अवार्डी।
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2008 व 2012 ओलंपिक में भारत अच्छी स्थिति में था जो 2016 में नहीं है। चार वर्ष की लड़ाई ने देश की बाक्सिंग को बर्बाद कर दिया। लेकिन मुझे लगता है कि अभी भी कुछ लोग बाक्सिंग का भला नहीं चाहते।
-एम वेणु, पूर्व बाक्सर अर्जुन अवार्डी।