रात का रिपोर्टर : रात के सन्नाटे में बस स्टैंड भी 'सूना'
'ओ..भाई साहब, चंडीगढ़ बस जाएगी क्या कोई? यार काउंटर पर कोई बैठा भी नहीं है। ना इंक्वायरी विंडो नज
'ओ..भाई साहब, चंडीगढ़ बस जाएगी क्या कोई? यार काउंटर पर कोई बैठा भी नहीं है। ना इंक्वायरी विंडो नजर आ रही है, कैसा बस स्टैंड है ये।'
बस के इंतजार में बस स्टैंड पर घूम रहे एक यात्री ने दूसरे यात्री से झुंझलाहट में ताबड़तोड़ सवाल तो कर दिए, लेकिन जवाब देना वाला कोई नहीं था। दूसरी तरफ, बस के इंतजार में काफी लोग बस स्टैंड के बरामदे में ही सो रहे थे। न तो वेटिंग रूम बनाया गया और न ही पुलिस की पेट्रोलिंग नजर आई। दिन में भी यहां की व्यवस्था ठीक नहीं है, लेकिन रात को हालात पूरी तरह चौंकाने वाले हैं। दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता संदीप रतन और छायाकार पंकज वर्मा ने मंगलवार रात को डेढ़ घंटा बस स्टैंड पर बिताया और हालात का जायजा लिया।
11 :20 बजे, चंडीगढ़ बूथ
गुड़गांव से सिर्फ चंडीगढ़ के लिए ही रात की बस सेवा है। फिर भी चंडीगढ़ बूथ पर रात को सन्नाटा छाया हुआ है। जयपुर के आकाश को चंडीगढ़ जाना था, लेकिन बूथ पर कोई भी मौजूद नहीं। पूछने पर पता चला कि आधे घंटे से काउंटर पर कोई भी उपस्थित नहीं है।
11 : 40, हिसार व भिवानी बूथ
बस स्टैंड के पूरे बरामदे में करीब 20 लोग लेटे हुए हैं। रात को गुड़गांव से बसों की कनेक्टिविटी बहुत कम है। सो रहे एक यात्री से जब पूछा गया तो जवाब मिला 'भाई अलवर जाना था, पर ईब कोए भी बस ही ना है।' बस स्टैंड पर वेंटिंग रूम भी नहीं है, मजबूरन यात्रियों को नीचे फर्श पर ही लेटना पड़ता है।
11 :58 बजे, बस स्टैंड परिसर
बरामदों में सो रहे लोगों के अलावा कुछ यात्री आपस में बातें कर रहे हैं। प्यास लगी तो बड़ी मुश्किल से पानी मिला, लेकिन वह भी गरम और पीने लायक नहीं। रेवाड़ी जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे अंजार ने अपने दूसरे साथी से कहा, 'भाई, यहां तो पी भी नहीं सकते।'
12 :30 बजे स्टैंड का मुख्य गेट
बस स्टैंड की बजाय बाहर ज्यादा चहल-पहल थी, लेकिन यात्रियों के लिए यह इलाका सुरक्षित नहीं है। कुछ ढाबे और चाय के खोखे खुले हैं। सिर्फ ऑटो रिक्शा चालकों का ही शोर-शराबा ज्यादा है। कई तो शराब के नशे में धुत नजर आए। ऐसे में महिलाओं के लिए बस स्टैंड क्षेत्र किसी भी तरीके से सुरक्षित नहीं है।
इस तरह बाहर आया यात्रियों का दर्द
मुझे आगरा जाना है। इंक्वायरी विंडो कहीं नजर नहीं आ रही है। किससे बस की टाइमिंग पूछें, रोडवेज का कोई कर्मचारी भी यहां नहीं है।
राकेश कुमार
रेवाड़ी जाने के लिए दो घंटे से बस का इंतजार कर रहा हूं। बस स्टैंड पर वेटिंग रूम, पीने का पानी, बेंच और सिक्योरिटी का कोई इंतजाम नहीं है।
अंजार
मथुरा जाना है। लेकिन बस का टाइम बताने वाला कोई नहीं है। लगता है बस स्टैंड पर ही पूरी रात गुजारनी पड़ेगी। टोंटी से पानी भी गर्म आ रहा है, पीने लायक नहीं है।
मांगेश