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इंजीनियर के बुरे दिन से कैदियों के आए अच्छे दिन

महावीर यादव, भोंडसी (गुड़गांव): 13 महीने जेल में बंद रहे एक इंजीनियर ने ऐसा साफ्टवेयर दे दिया, जिस

By Edited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2015 11:18 PM (IST)
इंजीनियर के बुरे दिन से कैदियों के आए अच्छे दिन

महावीर यादव, भोंडसी (गुड़गांव): 13 महीने जेल में बंद रहे एक इंजीनियर ने ऐसा साफ्टवेयर दे दिया, जिससे देश की जेलों का ऑनलाइन नेटवर्क तैयार किया जाएगा। इसके जरिये जेलों को सीधे अदालतों से जोड़ा जाएगा। साफ्टवेयर की मदद से कैदियों की पूरी जानकारी अदालतों को मिलती रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर की जेलों को अदालतों से जोड़ने के लिए साफ्टवेयर को अपनाने की सहमति दे दी है। पंद्रह दिनों के भीतर हरियाणा की सभी जेलों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से जोड़ दिया जाएगा।

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गोरखपुर की पंजाबी कॉलोनी के मूल निवासी अमित मिश्रा ने यह सॉफ्टवेयर तैयार किया है। पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर अमित 2013 में पत्नी की हुई मौत के मामले में भोंडसी जेल में बंद थे। जेल में रहने के दौरान कैदियों के लिए कुछ अच्छा करने की अमित की चाहत देख तत्कालीन जेलर हरेंद्र सिंह ने उसे कंप्यूटर पर काम करने की अनुमति दे दी थी। कुछ महीने में ही अमित ने नए टूल्स की मदद से सॉफ्टवेयर तैयार कर दिया। इस सॉफ्टवेयर के चलते ही प्रदेश के सभी जेलों में कैदियों के लिए आधुनिक सुविधा वाली कैंटीन शुरू हो पाई है। हालांकि पानीपत, रेवाड़ी व पलवल जेल में अभी यह सुविधा नहीं है। जहां यह सुविधा है, वहां कोई भी कैदी कैंटीन पर जाकर सामान खरीद सकता है और खर्च का ब्योरा भी तुरंत जान सकता है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश व यूपी सहित कई प्रदेशों के अधिकारी तकनीक को देखने के लिए भोंडसी जेल का दौरा कर चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे देश भर में लागू करने की जिम्मेदारी एनआइसी को सौंपी है। इसे क्रियान्वित करने में करीब दो करोड़ की रकम खर्च होने का अनुमान है।

इस समय सात प्रदेशों में काम

अमित मिश्रा ने अपनी कंपनी इवेडर टेक्नोलाजी प्राईवेट लिमिटेड बना ली है। उसकी कंपनी का इस समय हरियाणा के साथ हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, असम, मेघालय, त्रिपुरा व आंध्र प्रदेश की जेलों में काम चल रहा है। अदालतों के अलावा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो व राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की वेबसाइट भी साफ्टवेयर से लिंक हो जाएगी। सभी अपराधियों का डाटा सभी विभागों के अधिकारियों के पास होगा।

''जेल अधिकारियों की कई तरह की दिक्कतें कम हो जाएंगी। कैदी के कस्टडी सर्टिफिकेट के लिए जेल कर्मियों को रोजाना हाईकोर्ट जाना पड़ता है। इस साफ्टवेयर के बाद वह कोर्ट में ही जनरेट हो जाएगा। इसके अलावा कैदी अपनी पेरोल व छट्टी की पूरी जानकारी इसके माध्यम से ले सकेगें कि उसकी कितनी सजा हुई है, कितनी छुटटी मिली है और कितनी सजा अभी बाकी है।

-अमित मिश्रा।

'' जेल में रहते हुए अमित ने जो सॉफ्टवेयर बनाया, वह जेल व्यवस्था सुधारने के लिए प्रमुख हथियार बन चुका है। अमित से प्रेरणा लेकर अन्य कैदी भी अपने हुनर का इस्तेमाल करने लगे हैं।

-परमिंदर राय, डीजी (जेल) हरियाणा।


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