स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने का हरसंभव प्रयास होगा : राठी
जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को कई मायनों में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। लेकिन यहां कुछ ऐसी सुवि
जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को कई मायनों में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। लेकिन यहां कुछ ऐसी सुविधाएं हैं, जिससे उनके जहन में यहां की व्यवस्था के प्रति अच्छी सोच बनती है। जिला अस्पताल में मरीजों की दिनोंदिन बढ़ती संख्या के अनुपात में सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा रही हैं। सुविधाओं व अव्यवस्था के इन्हीं विषयों पर दैनिक जागरण संवाददाता अनिल भारद्वाज ने अस्पताल के महाप्रबंधक मनीष राठी से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
पिछले कई वर्षो से जिला अस्पताल प्रबंधन एनएबीएच से सार्टीफिकेट लेने का प्रयास कर रहा, लेकिन अब तक मिला क्यों नहीं?
-हम इसके बहुत करीब हैं, लेकिन यहां का जिला अस्पताल सफाई के मामले में निजी अस्पतालों से पीछे नहीं है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से लेकर नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल एंड हेल्थ केयर, (एनएबीएच) की टीम ने भी सरकारी अस्पताल को सफाई के लिए 100 अंक दिए हैं। एनएबीएच से सार्टीफिकेट नहीं मिलने का कारण कुछ अलग है, जिस पर सरकार लगातार काम कर रही है।
एक सरकारी अस्पताल में निजी अस्पताल की तरह सफाई पर जोर तथा अन्य कई नियम लागू करना कैसे मुमकिन कर पाए?
-डगर मुश्किल भरी थी, लेकिन उच्च अधिकारियों ने प्लान के मुताबिक काम किया। शुरू में विरोध भी हुआ, लेकिन आज डाक्टर व मरीज दोनों खुश हैं। नियमों का पालन करना अब मरीजों की आदत बन गई है।
ओपीडी में लगने वाली लंबी कतारों को प्रबंधित करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
-अस्पताल प्रबंधन का प्रयास है कि जो भी मरीज यहां आए, उसे बेहतर इलाज दिया जाए। इसके लिए साढ़े 12 बजे तक ओपीडी कार्ड बनाये जाने का नियम है। शुरू में परेशानी हुई, लेकिन अब मरीजों में जागरूकता आई है। मरीजों को इलाज मिल पा रहा है।
अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सकों की लंबी लाइन है। क्या यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसे चिकित्सक रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं?
-कोई भी डाक्टर प्रशिक्षण लेने के बाद ही अच्छा डाक्टर बनता है। एम्स में ऐसा ही प्रशिक्षण होता है। मैंने एम्स से ही अस्पताल प्रबंधन का कोर्स किया है। वहां की व्यवस्था देख कर ही मैंने उसे यहां भी लागू किया। इससे काम सीखने में मदद मिलती है। ट्रेनी डाक्टर मरीजों को सेवाएं देते हैं। एम्स में ट्रेनिंग के समय कोई छूट नहीं है, जिससे अच्छे डाक्टर तैयार होते हैं। हमारी यही कोशिश है कि जिला अस्पताल में आने वाले प्रशिक्षु चिकित्सक अच्छे डाक्टर बनकर जाएं।
अक्सर ओपीडी से मरीजों की शिकायत होती है कि डाक्टर देखने से मना कर देते हैं?
-यह बात सामने आती है। समस्या तब होती है, जब मरीज देरी से आता है और ओपीडी कार्ड नहीं बनवा पाता है। उनकी पीड़ा सुनी जाती है और दूर भी की जाती है। यह भी एक पहलू है कि डाक्टर भी तो उम्मीद से अधिक मरीज देख रहे हैं। यह समस्या पूरी तरह से तभी दूर होगी, जब एक ही मर्ज की कई ओपीडी खुले। यह तभी संभव जब चिकित्सक व कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाय।
वार्ड में दाखिल मरीजों की शिकायत है कि डाक्टर राउंड पर कम जाते हैं?
-एक डाक्टर ओपीडी व वार्ड का राउंड दोनों कर रहा है। उसे अपने मरीज की स्थिति की ज्यादा जानकारी होती है। वो नर्स के माध्यम से मरीज की रिपोर्ट पर नजर रखता है। ऐसे में मरीजों को लगता है कि कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कोई ऐसा मरीज है, जो वार्ड में दाखिल हुआ है और ठीक होकर नहीं गया?
आपने मेडिकल प्रबंधन की डिग्री ली है। क्या आपका बड़े अस्पतालों में मोटी पगार पर जाने का मन नहीं करता?
-नहीं। मैं उन लोगों में से हूं, जो पैसे की बजाय फर्ज पर जोर देते हैं। मेरे पिता ने मुझे डाक्टर इसी शर्त पर बनाया था कि मैं सरकारी सेवा में रहकर लोगों की सेवा करूंगा। 2010 में पासआउट होने पर मुझे लाखों के ऑफर मिले और मेरे मन में एक बार चाहत भी आई। लेकिन अंदर से आवाज आई कि पैसा ही नहीं, फर्ज भी कीमती है। अब मुझे पिता का फैसला सही लगता है। जब आप दिन में कई सौ लोगों को खुशी दे पाते हैं।
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परिचय
डा. मनीष राठी
-पिता का नाम, जिले सिंह राठी
-जन्म तिथि: 31 अगस्त 1972
-गांव भापरौदा, जिला झज्जर, हरियाणा।
-हरियाणा मेडिकल सर्विस ज्वाइंनिंग 1999 में।
-एमडी डिग्री (अस्पताल प्रबंधन) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली से 2010 में पास आउट।
-हॉबी : तैराकी, क्रिकेट खेलना, ऑफिस टाइम ज्यादा से ज्यादा मरीजों का काम करना ।