उर्वशी को मिला 'दृष्टिदान'
पूनम, गुड़गांव : दिल्ली के विकासपुरी निवासी उर्वशी की अंधेरी दुनिया में गुड़गांव के वाईपी महेन्द्रू
पूनम, गुड़गांव : दिल्ली के विकासपुरी निवासी उर्वशी की अंधेरी दुनिया में गुड़गांव के वाईपी महेन्द्रू आई बैंक और निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट ने मिलकर उजियारा फैला दिया है। 24 वर्षीया उर्वशी आंखों की बेहद खतरनाक बीमारी कैरेटोकोनस से ग्रस्त थीं। निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट के डॉ. हितेंद्र आहूजा ने उर्वशी की कार्निया प्रत्यारोपित कर उनकी आंखों की रोशनी लौटा दी है। कॉर्निया वाईपी महेन्द्रू आई बैंक ने उपलब्ध कराई है। अब उर्वशी अपनी हरी-भरी दुनिया खुली आंखों से देख सकती हैं।
उर्वशी दिल्ली की एक कंपनी में निर्यात का काम देखती हैं। इनकी सर्जरी कर डाक्टरों ने ऐसी गंभीर बीमारियों के उपचार के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। बताते हैं कि जो कॉर्निया उर्वशी को लगाई गई है, वह चार मई को नेत्रदान से आई बैंक में आई थी। उर्वशी को ऐसी कॉर्निया की जरूरत थी, जो उसके किसी हमउम्र व्यक्ति की आंख से निकाली गई हो। चूंकि उर्वशी अभी युवा हैं और उनकी आंखों में केवल युवा व्यक्ति की कार्निया ही सेट हो सकती थी। डाक्टर आहूजा के मुताबिक धीरे-धीरे उर्वशी की आंखों की दृष्टि और बेहतर होगी। उर्वशी ने बताया कि उसे देखने में ज्यादा परेशानी नौवीं और दसवीं कक्षा से ही होने लगी थी। जब एम्स में उन्होंने जांच कराई तो पता चला कि उसे कैरेटोकोनस नाम की बीमारी है। डाक्टरों ने कार्निया प्रत्यारोपण की सलाह दी। उर्वशी ने निरामया ट्रस्ट के प्रति सद्भावना व्यक्त की है।
''कैरेटोकोनस एक गंभीर बीमारी है। इससे व्यक्ति दृष्टिहीन हो जाता है। इसमें कार्निया पतला होकर कोण या ग्लोब के आकार की हो जाती है। इससे आई बॉल को नुकसान पहुंचता है। वर्ष 2004 से अबतक निरामया में 554 कार्निया ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। 1618 कार्निया नेत्रदान से प्राप्त हुए हैं।''
-डा. टीएन आहूजा, प्रमुख निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट।
''उर्वशी का कार्निया सेट होने में थोड़ा और वक्त लगेगा। प्रत्यारोपण के समय आंखों की विजन 6 बाई 60 थी, अब 6 बाई 12 हो गई है। धीरे-धीरे यह सेट हो जाएगा। फिलहाल उसका काम एक आंख के जरिए चल जाएगा। दूसरे में लेंस लगा है। इसकी कॉर्निया तभी प्रत्यारोपित होगी, जब पहली आंख की कॉर्निया सेट हो जाएगी।
-डा. हितेन्द्र आहूजा, नेत्र रोग विशेषज्ञ, चिकित्सा निदेशक, निरामया ट्रस्ट।