नारी सशक्तीकरण : साइबर सिटी के विकास का आधार बन रहीं महिलाएं
आदित्य राज, गुड़गांव : अब महिलाएं अबला नहीं रहीं, वह हर स्तर पर सबला बन चुकी हैं। विकास की मुख्यधारा
आदित्य राज, गुड़गांव : अब महिलाएं अबला नहीं रहीं, वह हर स्तर पर सबला बन चुकी हैं। विकास की मुख्यधारा में शामिल हो चुकी हैं। साइबर सिटी इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। शैक्षणिक संस्थानों से लेकर औद्योगिक इकाइयों तक में हजारों महिलाएं काम करती हैं। एक्सपोर्ट हाउसों (गारमेंट्स) के विकास का आधार स्तंभ ही महिलाएं हैं।
कुछ वर्ष पहले तक देश के अन्य भागों की तरह ही गुड़गांव में भी महिलाएं काम (नौकरी) नहीं करती थीं। अब शहर का कोई ऐसा सेक्टर नहीं जिसमें महिलाएं काम नहीं कर रही हैं। जानकारों के मुताबिक स्कूलों में 90 प्रतिशत से भी अधिक महिलाएं शिक्षक हैं। यही नहीं अन्य कार्यो में भी महिलाओं का प्रतिशत अधिक है। आइटी सेक्टर में 25 से 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। किसी भी प्रतिष्ठान के एचआर विभाग में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। एक्सपोर्ट हाउसों (गारमेंट्स) में 70 प्रतिशत महिलाएं काम कर रही हैं। पूरी दुनिया में शहर की पहचान एक्सपोर्ट कारोबार में है। यह सब महिलाओं की बदौलत है। यही नहीं ऑटोमोबाइल सेक्टर से लेकर सर्विस सेक्टर ही नहीं बल्कि अन्य सेक्टर में भी महिलाएं बेहतर कर रही हैं।
परिवार से दूर रह रहीं महिलाएं
कुछ वर्ष पहले तक घर से बाहर निकलने में संकोच होता था वहीं अब गुड़गांव के विभिन्न इलाकों में हजारों महिलाएं अकेले किराए पर रहती हैं। सभी विभिन्न प्रतिष्ठानों में काम करती हैं। न केवल दिन में बल्कि रात्रि पाली में भी काम करती हैं। मकान मालिक भी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को मकान किराए पर देना बेहतर समझने लगे हैं। उनका मानना है कि महिलाएं समय पर हर हाल में किराया दे देती हैं। साथ ही वह समय से काम पर जाती हैं और समय पर आ जाती हैं। इससे किसी को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
बढ़ा है महिलाओं का आत्मविश्वास ''पिछले कुछ वर्षो के दौरान महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। यही वजह है कि धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों में बेहतर पहचान बना रही हैं। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में टॉप पांच में से चार महिलाओं का आना प्रमाण है कि आत्मविश्वास का स्तर काफी बढ़ चुका है। जिस क्षेत्र में भी महिलाएं काम कर रही हैं वह समर्पित भाव से कर रही हैं। अनावश्यक इधर-उधर टहलने में विश्वास नहीं रखती हैं। चूंकि अधिकतर महिलाओं को घर की भी जिम्मेदारी निभानी होती है इसलिए वह समय का विशेष ध्यान रखती हैं। यही महिलाओं के बढ़ने का सबसे बड़ा मूलमंत्र है।''
- डा. अनुराधा लांबा, श्रम उपायुक्त, श्रम विभाग, गुड़गांव।