सुविधाएं बढ़ें तो बढ़ सकता है विदेशी निवेश
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं से औद्योगिक विकास का माहौल बन
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं से औद्योगिक विकास का माहौल बना है। यदि सिंगल विंडो सिस्टम विकसित करने पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए तो विदेशी निवेश बढ़ेगा। पिछले कुछ वर्षो से विदेशी निवेश का फ्लो काफी कम हो गया है।
वर्ष 2010 तक गुड़गांव में विदेशी निवेश का फ्लो काफी अधिक था। जापान, जर्मनी, अमेरिका, नार्वे, फ्रांस एवं आस्ट्रेलिया सहित कई देशों के उद्यमियों ने गुड़गांव में निवेश किया। कुछ वर्षो से विदेशी निवेश न के बराबर हो रहा है। इसके पीछे कई समस्याएं जिम्मेदार हैं। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि प्रतिष्ठान स्थापित होने से पहले कई विभागों का बार-बार चक्कर लगाना। यही नहीं प्रतिष्ठान स्थापित करने के बाद भी विभागों का चक्कर नहीं छूटता है। इसे लेकर उद्यमियों का कहना है कि प्रधानमंत्री को सिंगल विंडो सिस्टम राष्ट्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर जल्द से जल्द शुरू कराना चाहिए।
एक जगह उद्यमी फाइल जमा करे और प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति मिल जाए। जितनी आपत्तियां लगानी हैं, एक ही बार में लगाई जाए। एनसीआर चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एचपी यादव कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' का सपना साकार हो सकता है बशर्ते सुविधाएं उपलब्ध हों। सिंगल विंडो सिस्टम शुरू होने से ऑटोमोबाइल सेक्टर में काफी उछाल आ सकता है। कई विभागों में दौड़ भाग से परेशान होकर काफी उद्यमी निवेश नहीं करते हैं। केवल माहौल बनाने से काम नहीं चलेगा, सुविधाएं भी उपलब्ध करानी होंगी।
आज औद्योगिक निवेश के हिसाब से भारत की रैकिंग 120 है। यदि प्रधानमंत्री रैंक 100 तक लाने में भी कामयाब हो गए फिर निवेश का ग्राफ तेजी से बढ़ जाएगा। रैंकिंग बेहतर करने के लिए औद्योगिक विकास तेज करने के अनुरूप सुविधाएं उपलब्ध करानी ही होंगी। सेक्टर 37 इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एसोसिएशन के प्रधान उद्योगपति हरि शर्मा कहते हैं कि प्रधानमंत्री शुरू से ही 'मेक इन इंडिया' की बात कर रहे हैं। इससे देश के भीतर व बाहर बेहतर माहौल बना है। एक्सपोर्ट कारोबार में उछाल आएगा इसमें कोई संदेह नहीं। लेकिन, जब तक मध्यम एवं लघु उद्योगों को स्थापित करने वाले उद्यमी आगे नहीं आएंगे तब तक मेक इन इंडिया का सपना साकार नहीं होगा। इसके लिए सब्सिडी बढ़ानी होगी। छोटे कारोबारियों को प्रोत्साहित करना होगा। जहां तक बात एक्सपोर्ट कारोबार का है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि अब भारतीय उद्यमियों का पैसा विदेश में नहीं फंस रहा है। यह भी अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।