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विश्वास से इश्वरीय कृपा का अनुभव होता है : गिरी

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : व्यास श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर साध्वी आत्मचेतना गिरी जी महाराज ने

By Edited By: Published: Wed, 25 Mar 2015 06:40 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2015 06:40 PM (IST)
विश्वास से इश्वरीय कृपा का अनुभव होता है : गिरी

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : व्यास श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर साध्वी आत्मचेतना गिरी जी महाराज ने कहा कि परमात्मा सब जगह है। ऐसा कोई मनुष्य नहीं है, जो विश्वास न करता हो। हरेक परिस्थिति में भगवान की कृपा को देखो। कृपा को देखो ढूंढो, खोज करो। कृपा न दिखे तो भी मान लो। विश्वास करने से कृपा का अनुभव हो जाएगा।

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आत्म चेतना गिरी जी महाराज अखण्ड परमधाम गुफावाले शिव मंदिर सेवा द्वारा सेक्टर-51 स्थित मेफिल्ड गार्डन में वासंतिक नवरात्र के उपलक्ष्य में आयोजित श्री रामकथा के चौथे दिन श्रीराम जन्म का वर्णन कर रहे थे। साध्वी ने कहा कि आप चेतन बने रहो और देखो कि कान का क्या हो रहा है? आख का क्या होता है? त्वचा का क्या होता है? आप सुनने लगते हैं। आप श्रोता बन जाते हैं, ज्ञाता बन जाते हैं। आप केवल चेतन नहीं रहते। आप न जाने क्या पाने में लगे हैं? कुछ पाने की आपको जरूरत क्या है? परन्तु यह बात आपको अन्दर से ही स्वीकार नहीं तो फिर नया प्रयोग कैसे करेंगे? आपको यह विश्वास ही नहीं है कि हम चाह वाले नहीं हैं। मुझे चाहने की क्या जरूरत है? पहले तो जाग्रत अवस्था में आप जहा हैं, वहीं चेतन हो जाए। समाधि में जाने की कोई जरूरत नहीं है। साध्वी जी कहते है कि यदि मन से छुटकारा चाहिए तो जब तक मन से काम लेना हो तब तक काम लीजिए। परंतु थोड़ी देर के लिए अमन कर दीजिए। दुनिया में जीने की सबसे अच्छी कला है-कुछ देर के लिए अमन हो जाना। अर्थात मन रहित हो जाना। मन का न रहना, आत्मा या चेतना का रहना। मन का चेतन में लीन हो जाना। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर साध्वी आत्म चेतना गिरी जी ने श्रीरामकथा का वर्णन करते हुए कहा कि राम के विवाह के कुछ समय बाद राजा दशरथ ने राम का राज्याभिषेक करना चाहा। देवता लोगों को चिन्ता हुई कि राम को राज्य मिल जाने पर रावण का वध असंभव हो जाएगा। व्याकुल होकर उन्होंने देवी सरस्वती से किसी प्रकार के उपाय करने की प्रार्थना की। सरस्वती ने कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि फेर दी। मंथरा की सलाह से कैकेयी कोपभवन में चली गई। दशरथ जब मनाने आये तो कैकेयी ने उनसे वरदान मागे कि भरत को राजा बनाया जाये और राम को चौदह वर्षो के लिए वनवास भेज दिया जाए। इस अवसर पर भारत दुआ, आरपी शर्मा, जितेंद्र शर्मा, अनिल शर्मा, कबीर कादियान तथा प्रेम सोनी भी मौजूद थे।


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