डाक्टरों के स्थानांतरण से हो रही परेशानी
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : गुड़गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार द
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : गुड़गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार दावे कर रही है। लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि इन दावों पर कोई काम हो रहा है। जिले में डाक्टरों की संख्या बढ़ने की बजाय लगातार घटती जा रही है। डाक्टरों की कमी की एक बड़ी वजह दरअसल यहां से डाक्टरों का स्थानांतरण भी है। जिन डाक्टरों को गुड़गांव से भेजा गया उनके बदले अब तक यहां नए डाक्टर नहीं आए हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
जिला अस्पताल के जरनल सर्जन, डाक्टर बलविंदर, आंखों के विशेषज्ञ डाक्टर रमन शुक्ला व पूनम गोयल को गुड़गांव से मांडीखेड़ा (मेवात) स्थानांतरित किया गया है। हड्डी रोग विशेषज्ञ व सर्जन, विरेंद्र बासवाना को स्थानांतरित कर नारनौल भेज दिया गया है। उन्हें स्पाइनल सर्जरी में माहरत हासिल है। गुड़गांव के अनेक गरीब मरीजों को सर्जरी के जरिये उन्होंने बड़ी राहत पहुंचाई। डिप्टी सीएमओ नीलम थापर का तबादला मांडी खेड़ा किया गया है। उनकी देखरेख में चलाए गए पोलियो व टीकाकरण अभियान के कई कार्यक्रमों को जबरदस्त कामयाबी मिली थी। लाखों जनसंख्या के बीच कम स्टाफ के साथ उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाया था।
इसी तरह स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर मीनाक्षी बासवाना को भी नारनौल भेजा गया है। अस्पताल में पहले से ही महिला रोग विशेषज्ञों की कमी है। जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला अस्पताल के गायनी विभाग में प्रतिदिन 250 से ज्यादा महिलाएं ओपीडी में पहुंच रही हैं। साथ ही हर रोज 20 से 25 नार्मल जबकि 4 से 6 सिजेरियन डिलीवरी भी अस्पताल में हो रही है। अस्पताल के पास स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में सिर्फ तीन डाक्टर हैं। डाक्टरों पर ओपीडी में बैठने के साथ डिलीवरी का दबाव भी है। ऐसे में जिला अस्पताल में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ ओपीडी में आने वाली गर्भवती महिलाओं औसत रूप से 1 मिनट 44 सेकंड का समय ही दे पाती हैं। इन सबको देखते हुए जिला अस्पताल में डाक्टरों की संख्या बढ़ाना बेहद जरूरी है।
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बॉक्स में
''पिछले सप्ताह जिला अस्पताल में आयोजित एक कार्यक्रम में लोक निर्माण एवं जनस्वास्थ्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने शिरकत की थी। उस समय अस्पताल में उन्होंने कहा था कि तबादले से उत्पन्न हुई डाक्टरों की कमी की समस्या 10-15 दिनों में खत्म हो जाएगी। डाक्टरों की मांग मुख्यमंत्री के सामने रखी गई है जल्द ही जिला अस्पताल में डाक्टरों की कोई कमी महसूस नहीं होगी।''