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पार्क का वजूद खतरे में

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव: अरावली पहाड़ी के संरक्षित क्षेत्र में करीब पांच सौ एकड़ में फैले बायोड

By Edited By: Published: Tue, 27 Jan 2015 08:09 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jan 2015 04:02 AM (IST)
पार्क का वजूद खतरे में

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव: अरावली पहाड़ी के संरक्षित क्षेत्र में करीब पांच सौ एकड़ में फैले बायोडायवर्सिटी पार्क की हरियाली पर खतरा मंडराने लगा है। कहने को तो पार्क में हजारों पौधे लगाए हैं, लेकिन रखरखाव के अभाव में अधिकतर सूख चुके हैं। पार्क को पर्यटक स्थल बनाने के साथ इसके कायाकल्प के लिए जिस एजेंसी को काम दिया गया वह भी अपने काम के साथ न्याय नहीं कर पा रही है। स्थिति यहां तक बिगड़ गई है कि पार्क का अस्तित्व खतरे दिखने लगा है।

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तत्कालीन निगमायुक्त आरके खुल्लर ने अरावली की संरक्षित पहाड़ियों की तलहटी में बायोडायवर्सिटी पार्क को विकसित करने की जिम्मेदारी उठाई थी। करोड़ों रुपये खर्च कर यहां बिना कोई नया निर्माण कर उसे पार्क में तब्दील करने का जो अभियान चलाया गया था, उसी का परिणाम है कि उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते थे। उन्होंने पार्क में पौधे लगाने एवं रखरखाव के लिए वन विभाग को एक तय राशि देकर दो साल तक की जिम्मेदारी उन्हें दी थी। साथ ही सफाई विंग के वरिष्ठ सफाई निरीक्षक बिजेंद्र शर्मा की ड्यूटी भी पार्क में लगाई गई, लेकिन उन्होंने एक दिन भी वहां काम नहीं किया। इसी प्रकार दूसरे अधिकारी भी पार्क को लेकर लापरवाह रहे। जिस एजेंसी को पार्क को विकसित करने एवं इसके कायाकल्प की जिम्मेदारी दी वह भी अधिकारियों की उम्मीद पर खरा नहीं उतरी। हालात यह है कि पार्क में अतिक्रमण के अलावा गंदगी बड़ी समस्या बन रहे हैं। साथ ही लगे पौधे सूखने लगे हैं। जबकि पार्क के रखरखाव के लिए बकायदा एक समिति का गठन किया गया था। इसके लिए सोसायटी का पंजीकरण भी कराया गया था। बावजूद कोई भी पार्क को लेकर पूरी तरह सक्रिय नहीं है। पार्क की बदहाली की जानकारी मेयर तक पहुंचने पर उन्होंने चीफ इंजीनियर आरके सिंगला को एजेंसी को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए कह दिया है।

पार्क पर एक नजर

पार्क में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, तालाब, साइकलिंग ट्रेक, आडिटोरियम बनाया गया है। सबसे बड़ी बात है इन सब के लिए अरावली की पहाड़ी से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई है। पार्क की चारदीवारी भी बिना निर्माण कर लोहे की जालियों में पत्थर डालकर तैयार की गई है।

''पार्क के कायाकल्प के लिए नई एजेंसी को काम देने एवं निगम के कुछ अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं। जितना काम तत्कालीन निगमायुक्त आरके खुल्लर ने कराया उसके बाद किसी ने भी इसकी न तो सुध ली न ही उस काम का रखरखाव तक कर पाए। हालात यह है कि जिन्हें जिम्मेदारी दी वह भी उसे निभाने को लेकर सक्रिय नहीं रहे।''

-विमल यादव, मेयर।


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