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वहां आखें रोई यहां दिल

फोटो : 18 जीयूआर 11 जेपीजी में अनिल भारद्वाज, गुड़गांव : पाकिस्तान के पेशावर में स्थित एक आर्मी स्

By Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 04:01 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 04:01 PM (IST)
वहां आखें रोई यहां दिल

फोटो : 18 जीयूआर 11 जेपीजी में

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अनिल भारद्वाज, गुड़गांव : पाकिस्तान के पेशावर में स्थित एक आर्मी स्कूल में दो दिन पहले हुए आतंकी हमले में मारे गए बच्चों की खबर से पूरी दुनिया रो रही है। आतंकवादी हमला चाहे एशिया के किसी देश में हो या फिर अमेरिका अथवा यूरोप में। तबाही का मंजर हर जगह एक जैसा ही होता है। गुड़गांव के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ समय से पाकिस्तान खुद भी आतंक की आग में जल रहा है। पूर्व में भी वहां बम विस्फोट हुए, लेकिन जो वहशियाना हरकत स्कूली बच्चों के साथ की गई, उसे देख और पढ़कर दिल भर आता है। लोगों का यह भी कहना है कि जिस तरह मासूम बच्चों को निशाना बनाया गया, उस खबर को पढ़ा नहीं जा पाता। पाकिस्तान में आतंकी हमले में मारे गए मासूम बच्चों के प्रति अपने दर्द को लोग छिपा नहीं पा रहे।

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-हर दिन सुबह उठने के बाद अखबार पढ़ना मेरी दिनचर्या में शामिल है। लेकिन जब बुधवार अखबार खोला, तो दिल दहला देने वाली घटना की कवरेज पहले पेज पर थी। बृहस्पतिवार को भी जब आतंकवाद संबंधी खबरें समाचर पत्र में देखीं तो उसे उठाकर रख दिया। टेलीविजन पर भी खबरों का कोई चैनल नहीं चलाया।

प्रमोद कुमार, पाठक

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पेशावर में हुई घटना पर पाकिस्तान के साथ भारत भी दुखी है। फर्क केवल यह है कि सीमा के उस पार आंखें रो रही हैं और यहां दिल। अल्लाह ऐसे दरिंदों को कभी माफ नहीं करेगा। अखबार में जब आतंकवादी हमले की खबर पढ़ी तो ऐसा लगा कि कलेजा बाहर निकल आएगा।

-मोहम्मद कासिम खान, पाठक

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समाचार पत्र में छपी आतंकवादियों की उस करतूत को पूरा पढ़ने की हिम्मत नहीं जुटी। बस शुरू चार-पांच लाइनें पढ़ीं तो आंखें भर आई। आखिर मासूमों की लाशों पर कौन सा पाकिस्तान बनाना चाहते हैं वो लोग। आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले आखिर कब समझेंगे कि शांति और अमन से बेहतर दूसरा कुछ नहीं।

-अशोक दलाल, आइटी इंजीनियर

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भारत -पाकिस्तान का तो खून का रिश्ता है। फर्क तो बस एक लकीर का है जिसे हम दो देशों की सीमा कहते हैं। सीमा के उस पार हुए हादसे ने हमें भी दर्द दिया है। पाकिस्तान शायद इस बात को न समझे, लेकिन वहां की जनता को आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।

-मंगल सिंह, व्यापारी

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पाकिस्तान में हुई इस घटना से खिलाड़ी भी सदमे में हैं। हर कोई उदास है। कुछ कहने के लिए जैसे किसी पास शब्द ही नहीं बचे हैं। आतंकवाद की इस समस्या से पूरी दुनिया को एक साथ मिलकर लड़ना होगा, तभी इसे खत्म किया जा सकता है।

-मनीष डांगी, हॉकी कोच

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विश्व भर में हुए बड़े-बड़े युद्धों को इतिहास में पढ़ा लेकिन ऐसा दुख भरा मंजर कभी न देखा। अखबारों में छपी तस्वीरों और मासूमों के बयान पढ़कर दिल भर आता है।

-अमित, हॉकी खिलाड़ी


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