कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं रूक रहा ध्वनि प्रदूषण
पुलिस प्रशासन से भी माग कि वह ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करे आवाजों के शोर से सबसे अधिक परेशानी बी
पुलिस प्रशासन से भी माग कि वह ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करे
आवाजों के शोर से सबसे अधिक परेशानी बीमार व बुजुर्गो को होती है
संवाद सहयोगी, नगीना :
रात के दस बजे के बाद और सुबह छह बजे से पहले लाउडस्पीकर या डीजे आदि बजाने पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का यहा खुलकर उल्लंघन हो रहा है। पारिवारिक खुशियों को मनाने वालों के अलावा धार्मिक आस्था के नाम पर भी देर रात और अल सुबह के समय में कस्बे के वातावरण में ध्वनि प्रदूषण का जोर रहता है। कई मंदिरों में सतसंग या भजन कीर्तन के कार्यक्रम रात के 12 से 1 बजे तक चलते रहते हैं तो सुबह 4 बजे से ही मंदिरों के लाउडस्पीकरों पर तेज आवाज में भजन गूंजने लगते हैं। तो कई बार विवाह व अन्य पारिवारिक खुशी के अवसरों पर भी लोग मस्ती में आकर रातभर डीजे बजाकर झूमते हैं। जिसका नतीजा ध्वनि प्रदूषण बढ़ने के रूप में देखा जा रहा है । कुतुबुद्दीन, अमित कुमार, श्याम सुंदर आदि ने बताया कि बीते बुधवार की पूरी रात कस्बेवासी किसी के घर लगे डीजे के तेज गानों से खूब परेशान रहे थे। रात भर नींद उड़ी रही। इन आवाजों के शोर से सबसे अधिक परेशानी बीमार व बुजुर्गो को होती है। तो दिनभर की मेहनत से थके मांदे अन्य लोग भी भरपूर नींद नही ले पा रहे हैं। इन दिनों सर्द मौसम में सुबह जल्दी उठकर शांत वातावरण में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को भी एकाग्रता बनाने में दिक्कत होती है। परेशान विद्यार्थियों का कहना है कि गर्मियों में तो घर के पंखे कूलर आदि के शोर के कारण लाउडस्पीकरों की आवाज उतनी नहीं परेशान करती। लेकिन शहर में बज रहे डीजे व लाउडस्पीकरों से वे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। कस्बेवासियों की पुलिस प्रशासन से भी माग है कि वह कस्बे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना सुनिश्चित कराए व रात दस बजे के बाद व सुबह 6 बजे से पहले ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करे।