एंकर..ग्रामीण बच्चों की प्रतिभा निखार रहे हैं सुधीर त्रिपुरारी
फोटो 23 जीयूआर 12 जागरण संवाददाता, गुड़गांव: कला किसी वर्ग, जाति, क्षेत्र या फिर उम्र की मोहताज नही
फोटो 23 जीयूआर 12
जागरण संवाददाता, गुड़गांव: कला किसी वर्ग, जाति, क्षेत्र या फिर उम्र की मोहताज नहीं होती। जरूरत होती है कि सिर्फ बच्चों को सही दिशा देने की। उनकी प्रतिभा को निखारने की। इसी दिशा में सेक्टर 15 पार्ट दो निवासी चित्रकार सुधीर त्रिपुरारी लगातार प्रयासरत हैं। उनके प्रयास का ही परिणाम है कि यहां के बच्चे चित्रकारी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं।
पिछले कई वर्षो से चित्रकार सुधीर त्रिपुरारी शहरी क्षेत्र के बच्चों को निश्शुल्क चित्रकारी सिखाने में लगे हैं। अब पिछले कुछ महीनों से उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को भी सामने लाने का प्रयास शुरू कर दिया है। त्रिपुरारी कहते हैं कि कहीं भी प्रतिभा की कमी नहीं है, जरूरत है बच्चों की लगन और प्रतिभा को सही दिशा देने की। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का प्रकृति से जुड़ाव अधिक दिखता है। इस वजह से वे चित्रकारी की भाषा तेजी से समझ लेते हैं। उन्हें जैसे ही पर्यावरण से जुड़े किसी विषय पर चित्रकारी के लिए कहा जाता है, वे फटाफट कुछ न कुछ बनाकर सामने रख देते हैं। इससे लगता है कि बच्चों के भीतर चित्रकारी के प्रति जबर्दस्त दिलचस्पी है। बच्चों की इसी दिलचस्पी को उनका पैशन बनाने के लिए वे डीपीएस मानेसर को कुछ समय देते हैं। उस स्कूल में अधिकांश बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं।
सभी चित्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में समय दें
त्रिपुरारी कहते हैं कि सभी चित्रकारों को ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक समय देना चाहिए। चित्रकारों का काम केवल चित्रकारी करना नहीं, बल्कि समाज को संदेश देना भी है। संदेश कई तरह से दिए जा सकते हैं। बच्चों की प्रतिभा को निखारना भी संदेश है। पहले गिने चुने लोग चित्रकारी करते थे। अब पॉश इलाकों में रहने वाले बच्चों में भी चित्रकारी के प्रति दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है।