अभी भी नहीं सुधरी मिड डे मील की गुणवत्ता
जागरण संवाददाता, गुड़गांव: मिड डे मील की गुणवत्ता पर विद्यार्थियों व शिक्षकों ने सवाल उठाने शुरू क
जागरण संवाददाता, गुड़गांव:
मिड डे मील की गुणवत्ता पर विद्यार्थियों व शिक्षकों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। करीब एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी अभी तक मिड डे मील की गुणवत्ता में सुधार नहीं आ सका है। साथ ही जिन डिब्बों में मिड डे मील स्कूलों में पहुंचाया जाता है उनकी हालत ऐसी है कि उन्हें देखकर ही उसके अंदर रखे भोजन के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। स्कूलों ने इस बारे में शिकायत जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी से की जिसके बाद अधिकारी ने निदेशालय को पत्र भेजा है।
मिड डे मील की क्वालिटी को लेकर जो सवाल उठे थे उसके बाद जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने इसकी जांच की थी और पाया था कि मिड डे मील मापदंड पर खरा नहीं उतर रहा था। ऐसे में अधिकारी प्रेमलता सिंह ने मिड डे मील मुहैया कराने वाली संस्था इस्कॉन को भी फटकार लगाई थी व फिर स्कूली शिक्षा निदेशालय में इसकी रिपोर्ट भी भेजी थी। हालांकि इसके बाद कुछ मामूली बदलाव जरूर आए लेकिन पूरी तरह से भोजन की क्वालिटी नहीं सुधरी है। एक प्राथमिक पाठशाला के शिक्षक के अनुसार इस तरह का भोजन स्कूलों में पहुंचाया जा रहा है कि बच्चे केवल उसे डांट पड़ने के डर से ही खाते हैं। मन से बच्चे मिड डे मील का भोजन नहीं खाना चाहते हैं। स्कूलों की शिकायतों के मुताबिक मिड डे मील में हर चीज की क्वालिटी खराब है लेकिन सबसे खराब है चावल की क्वालिटी, चावल बहुत ही घटिया क्वालिटी का आ रहा है। हालांकि शिकायत के बाद संस्था ने थोड़ा सुधार दिखाया लेकिन विद्यार्थियों को भोजन अभी भी पसंद नहीं आ रहा है। सैनीखेड़ा प्राथमिक पाठशाला के अध्यापक व राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान तरुण सुहाग ने कहा कि चावल की क्वालिटी में कुछ सुधार तो आया है लेकिन अभी भी विद्यार्थी शिकायत कर रहे हैं। साथ ही डिब्बे अभी तक नहीं बदले गए हैं। इस बारे में संस्था से शिकायत की गई तो संस्था ने एक हफ्ते तक डिब्बे बदलने की बात की है। इस बारे में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि उन्होंने संस्था को इस बारे में सख्ती से कहा है और उसके बाद उन्होंने सुधार भी किए हैं और जल्द बाकी के सुधार भी कर लिए जाएंगे।
फिलहाल स्कूलों में पहुंचने वाले मिड डे मील की क्वालिटी विद्यार्थियों को स्कूल में दिए जाने वाले भोजन से विमुख कर रही हैं। ऐसे में शिक्षा अधिकारी भी इस समस्या पर संस्था पर सख्ती दिखा रहे हैं।