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लीड..अपनों को फायदा देने के लिए नियमों को दिखा रहे ठेंगा

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव : नगर निगम अधिकारी अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसी भी

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 06:43 PM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 06:43 PM (IST)
लीड..अपनों को फायदा देने के लिए नियमों को दिखा रहे ठेंगा

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव : नगर निगम अधिकारी अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है इसमें वह अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए वह नियमों को ठेंगा दिखाने में जुट गए हैं। इससे निगम को भी लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान होना तय है। बावजूद निगम में आए नए अधिकारी करीबियों को फायदा पहुंचाने की दिशा में सक्रिय हैं।

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विज्ञापन फीस से अपना खजाना भरने का सपना देख रहे निगम अधिकारियों के प्रयासों पर कुछ नए अधिकारी पानी फेरने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए वह अनधिकृत रूप से विज्ञापन सामग्री देने की दिशा में काम कर रहे हैं। जबकि 21 नवंबर को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अनधिकृत एवं राजनीतिक विज्ञापन लगाने पर अधिकारियों की जमकर फटकार लगाई गई थी। साथ ही सात दिन में सामग्री हटाना एवं पांच दिसंबर को उपायुक्त को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं। बावजूद निगम अधिकारी विज्ञापनों के खेल में लगे हैं। करीब तीन-चार माह पूर्व डीएलएफ क्षेत्र में बड़ी संख्या में अनधिकृत विज्ञापन सामग्री लगी थी। इस पर निगम ने डीएलएफ को नोटिस जारी कर कहा कि जब तक निगम फीस लेकर किसी को अनुमति न दे तब तक वह किसी को विज्ञापन न लगाने दे। इस पर डीएलएफ ने कई विज्ञापन सामग्री को हटाया और सभी को निगम से अनुमति लेने व फीस जमा कराने को कहा। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। तीन एजेंसियों ने निगम खजाने में तीन करोड़ रुपये जमा कराकर अनुमति ले ली। निगम को उम्मीद थी कि इस प्रकार के कदमों से निगम खजाने में काफी पैसा आएगा। अब निगम में आए नए अधिकारी निगम को राजस्व नुकसान पहुंचाने की दिशा में सक्रिय हो गए हैं। इसके लिए कुछ एजेंसियां निगम अधिकारियों से सांठ-गांठकर बिना अनुमति व फीस जमा कराए डीएलएफ क्षेत्र में विज्ञापन सामग्री लगाने की दिशा में हाथ-पैर मार रही हैं। आला अधिकारियों के करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए निगम के कुछ अधिकारी सहर्ष तैयार भी हो गए हैं। इसके लिए वह ऐसा गणित तैयार कर रहे हैं कि किसी को भनक न लगे और उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल न उठे। साथ ही इस खेल को पूरी तरह गुपचुप तरीके से खेला जा रहा है।

पुरानी एजेंसी का पैसा कर देंगे वापस

सवाल उठ रहा है कि जिन तीन एजेंसी ने निगम को तीन करोड़ रुपये का राजस्व दिया वह इसका विरोध करेंगी कि दूसरी एजेंसी को बिना फीस जमा कराए कैसे अनुमति दी गई। संभव है कि वह कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाए। इसके लिए निगम अधिकारी सोच रहे हैं कि अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए पुरानी एजेंसियों को तीन करोड़ रुपये भी वापस कर दिया जाए। यानी करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए निगम को राजस्व का नुकसान पहुंचाने में भी अधिकारी देर नहीं कर रहे हैं।

बॉक्स में :

क्या कहता है नियम

हरियाणा म्यूनिसिपल कारपोरेशन एक्ट 1994 के अनुसार सार्वजनिक जगहो पर यदि कोई विज्ञापन सामग्री नजर आती है, तो उसके लिए निकाय से अनुमति लेने के साथ ही तय फीस जमा कराना अनिवार्य है।

विकास कार्य तक सीमित रहे इंजीनिय¨रग विंग

विज्ञापन संबंधी मामलों से इंजीनिय¨रग विंग को दूर रखना चाहिए। कारण उसके पास विकास कार्य के अलावा सीवर, पानी, ड्रेनेज जैसे कार्य हैं। इस प्रकार से पहले एसटीपी को विज्ञापन की जिम्मेदारी दी गई थी उसी प्रकार अब फिर से इंजीनिय¨रग विंग को इस कार्य से मुक्त करने को लेकर आवाज उठने लगी है। हालांकि इंजीनियर मलाईदार इस कार्य को अपने पास रखने के लिए ऊपर तक से पैरवी करा रहे हैं।

राजस्व का नुकसान नहीं होने देंगे

''यह मामला संज्ञान में नहीं है। वैसे निगम को राजस्व का नुकसान नहीं होने देंगे। सभी अधिकारियों का कर्तव्य है कि निगम को अधिक से अधिक राजस्व मिले और यदि कोई गुप-चुप तरीके से नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने में देर नहीं करेंगे।''

-एमआर शर्मा, सुपरिटेंडिंग इंजीनियर नगर निगम।


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