भूजल का दोहन बदस्तूर जारी
आदित्य राज, गुड़गांव: साइबर सिटी व इसके आसपास भूजल का दोहन बदस्तूर जारी है। हाईकोर्ट के आदेश का असर फ
आदित्य राज, गुड़गांव: साइबर सिटी व इसके आसपास भूजल का दोहन बदस्तूर जारी है। हाईकोर्ट के आदेश का असर फाइलों से बाहर नहीं दिखता। कालोनाइजर से लेकर आम आदमी तक अनधिकृत रूप से बोरिंग करके जमीन से पानी निकाल रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन से लेकर पर्यावरण विभाग तक हाथ पर हाथ धरे बैठा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो फिर आने वाली पीढि़यां भू-जल के लिए तरस जाएंगी। इससे चिंतित रोटरी क्लब साउथ सिटी के पूर्व प्रेसिडेंट मुकेश शर्मा ने कुछ दिन पहले फिर से हाईकोर्ट में इससे संबंधित एक याचिका लगाई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायधीश आशुतोष मोहंता ने संबंधित सभी पक्षों को दो दिसंबर तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
तब 60 फुट पर मिल जाता था पानी
जिले में 90 के दशक तक 50 से 60 फुट के लेयर पर पानी मिल जाता था। लेकिन विकास की आंधी का असर भूजल पर भी पड़ा है। दिनों दिन बढ़ती और सघन होती आबादी से लेकर निर्माण एवं उद्योग के अलावा कार्यो में जमकर भूजल दोहन हुआ। इससे शहर के अधिकांश इलाकों में धीरे-धीरे भूजल का स्तर गिरता गया।
अब चार सौ तक करनी पड़ती है बोरिंग
अब आलम यह है कि पानी का लेयर साढ़े तीन सौ से चार सौ फुट नीचे तक खिसक चुका है। कई इलाकों में तो भूजल स्तर की स्थिति इससे कहीं अधिक बिगड़ी हुई है। इसे देखते हुए कुछ वर्ष पहले हाईकोर्ट ने साइबर सिटी व इसके आसपास भूजल के दोहन पर रोक लगा दी। यानी बोरिंग करके पानी निकालने पर प्रतिबंध लग गया था। लेकिन यह प्रतिबंध सही मायने में फाइलों से बाहर नहीं निकला। यदि निकला होता, तो जिन इलाकों में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था विकसित नहीं की गई उन इलाकों में कालोनाइजरों ने सोसायटियां कैसे विकसित कर दीं। यही नहीं शहर की कई अनधिकृत कालोनियों में भी पेयजल आपूर्ति व्यवस्था ठीक नहीं है, लेकिन लाखों लोग रह रहे हैं। निश्चय ही ये लोग या तो टैंकरों से पानी मंगाते हैं या फिर बोरिंग करके भू- जल ही निकाल रहे हैं।
जनहित में लिया फैसला
गुड़गांव के सेक्टर 73 से 76 तक हुडा की ओर से पानी आपूर्ति करने की व्यवस्था नहीं है। इसके बाद भी ऊंची-ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। एक कालोनाइजर का प्रोजेक्ट पूरी तरह तैयार है और इसमें जल्द ही सैकड़ों लोग रहेंगे। जब पानी की व्यवस्था नहीं फिर सैकड़ों लोग रहेंगे कैसे। प्रतिदिन हजारों लीटर पानी जमीन से निकाला जा रहा है। दूसरी तरफ प्रशासन ध्यान देने को तैयार नहीं है। जनहित में उन्होंने हाईकोर्ट में जाने का फैसला लिया।
-मुकेश शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, रोटरी क्लब, साउथ सिटी।
जागरण सुझाव
1. भूजल दोहन पर रोक लगे।
2. वर्षा जल संचयन पर जोर हो।
3. अरावली पहाड़ी क्षेत्र में चेक डैम बने।
4. तालाबों को विकसित किया जाय।
5. स्थिति सामान्य होने पर ही बोरिंग की इजाजत दी जाए।