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सरकारी जमीन देने के खिलाफ लामबंद होने लगे पार्षद

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : वजीराबाद गांव में रास्ते की जमीन देने का विरोध होने के बावजूद न तो अधि

By Edited By: Published: Tue, 18 Nov 2014 07:29 PM (IST)Updated: Tue, 18 Nov 2014 07:29 PM (IST)
सरकारी जमीन देने के खिलाफ लामबंद होने लगे पार्षद

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : वजीराबाद गांव में रास्ते की जमीन देने का विरोध होने के बावजूद न तो अधिकारी चेते न ही मेयर टीम। यही कारण है कि गांव टिकरी में राजस्व रिकार्ड में दर्ज रास्ते की पौन एकड़ जमीन कालोनाइजर को देने का निगम अधिकारियों ने मन बना लिया है। वहीं इस पूरे मामले में मेयर टीम की चुप्पी ने उसकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। हालांकि दूसरी ओर पार्षद इस मामले को लेकर लामबंद होने लगे हैं। इनका कहना है कि इस मामले की जांच के लिए चंडीगढ़ पत्र लिखेंगे।

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वजीराबाद गांव में रास्ते की सरकारी जमीन कालोनाइजर को देने के मामले में मेयर टीम की जमकर किरकिरी हुई थी। यहां तक सदन में पार्षद सुरेश शशि दुआ ने मेयर टीम पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। जांच के लिए कई पत्र लिखे और शायद यही कारण हैं कि यह मामला अभी भी फंसा हुआ है। बावजूद दूसरी ओर राजस्व रिकार्ड में दर्ज रास्ते की जमीन कालोनाइजर को देने के खेल पर रोक नहीं लगी। दैनिक जागरण ने 18 नवंबर को गांव टिकरी में ऐसे ही मामले का खुलासा किया था। इसके बाद पार्षद इस मामले को लेकर लामबंद होने लगे हैं। ताज्जुब की बात है कि इस मामले को लेकर भाजपा, कांग्रेस, इनेलो के पार्षद एकजुट नजर आ रहे हैं। भाजपा की सुनीता यादव का कहना है कि यह एक बहुत बड़ा स्कैंडल हैं और इसकी जांच की जाना चाहिए। कांग्रेस पार्षद सुरेश शशि दुआ का कहना है कि वजीराबाद की जमीन कालोनाइजर को देने के समय भी उन्होंने लगातार विरोध किया था और आज भी उसकी लड़ाई लड़ रहे हैं। इनेलो की सोनिया ठाकरान का कहना है कि आखिरकार सरकारी जमीन कालोनाइजर को देने की जरूरत ही क्या है। जबकि निगम की आर्थिक हालत भी ठीक है।

तकनीकी खामियां

गांव टिकरी की जमीन देने की फाइल में कई तकनीकी खामियां हैं। पार्षद सोनिया ठाकरान का कहना है कि निगमायुक्त का स्थानांतरण होने के बाद उस पर मुहर लगाना जांच का विषय है। साथ ही इस पूरे मामले में निगम के स्थायी सीटीपी के बजाए ठेके पर सलाहकार का काम करने वाले एसके कुश से फाइल को अप्रूवल दिलवाने से साफ है कि इसके पीछे बड़ा खेल है। जबकि इस मामले में स्थानीय पार्षद, एटीपी, डीटीपी, एसटीपी की रिपोर्ट होनी चाहिए थी।

आर्थिक तंगी नहीं तो फिर क्यों बेच रहे जमीन

''फरीदाबाद सहित दूसरे निकाय आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। वहां कर्मियों को वेतन देने के लिए पैसे भी नहीं है लेकिन वह सरकारी जमीन नहीं बेच रहे। गुड़गांव निगम आर्थिक रूप से मजबूत है और फिर भी जमीन बेचने से साफ है कि इसकी ओट में अधिकारी व मेयर टीम अपना हित साध रही है। इसकी जांच के लिए चंडीगढ़ से टीम गठित होनी चाहिए। इसके लिए सीएम को भी पत्र लिख रहे हैं।''

-सुरेश शशि दुआ, पार्षद, वार्ड 19।

मेयर टीम स्थिति साफ करे

पार्षद सीमा पाहूजा, सोनिया ठाकरान के अलावा मोनिका यादव का कहना है कि इस मामले में मेयर टीम स्थिति साफ करे। यदि इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है, तो फिर उसे सामने आकर अधिकारियों की कार्यप्रणाली को सार्वजनिक करना चाहिए। साथ ही सदन के एजेंडे में भी इसे शामिल नहीं करना चाहिए। तभी उस पर जमीन खेलों के जो आरोप लग रहे हैं उस पर विराम लग पाएगा।


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