मंडियों से वापस जाने लगा धान
जागरण संवाददाता, मेवात : प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही किसानों के उपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा
जागरण संवाददाता, मेवात :
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही किसानों के उपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। धान के दामों में आए दिन गिरावट हो रही है। जिससे किसान मजबूरी में अपनी फसलों को अनाज मंडियों से वापस भरकर ले जाने लगे हैं। किसानों का कहना है कि नई सरकार बनने से जहां उन्हें धान के दाम बढ़ने की उम्मीद थी। वहीं सरकार ने धान की फसल के दाम और घटा दिए हैं। किसानों ने बताया कि दीपावली से पहले तो धान की किस्म 1121 के दाम 3000, 1509 के 1600, सुगंध के 1500 रुपये प्रति क्विंटल के पार थे। लेकिन तब तक पूरी फसल नहीं कट पाई थी। दीपावली के बाद भाजपा की सरकार बनते ही सबसे पहले किसानों पर मार पड़ी। धान के दामों में लगभग 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। जिससे किसान पूरी तरह से आहत हो गए हैं। किसान भूरा, भजनलाल, किशनपाल, शमसुद्दीन, भगतराम सहित कई किसानों का कहना है कि अनाज मंडियों में धान के अच्छे रेट नहीं मिल रहे हैं। जिससे ज्यादातर किसान या तो अपनी फसल को घर पर ही रोक रहे हैं या मंडियों से वापस भरकर ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंहगाई बढ़ने से फसलों में लागत भी ज्यादा आ रही है और उनके दाम भी नहीं मिल रहे। ऐसे में किसानों के लगता है कि उन्होंने भाजपा सरकार को वोट देकर बहुत बड़ी गलती की है। इन सब के चक्कर में आढ़ती भी पिस रहे हैं। आढ़ती रमन का कहना है कि सरकार द्वारा दिए जा रहे धान के रेट संतोषजनक नहीं हैं। जिससे किसानों के साथ-साथ वे भी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि धान के अच्छे रेट ने मिलने से ज्यादातर आढ़तियों ने तो धान को लेना बंद कर दिया है। उनका कहना है कि धान लेने से क्या फायदा जब कुछ बचता ही नहीं। उन्होंने कहा इस बार तो सरकार ने उन्हें दोहरी मार दी है।